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( १७७ ) तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ चंपाए नयरीए पुण्णभद्दाओ चेहयाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥१५॥ देव द्वारा कामदेव की परीक्षा के बाद
तेण कालेण तेणं समएण समणे भगवं महावीरे जाव जेणेच चंपा नयरी, जेणेष पुण्णभद्दे चेइए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥४२॥
__ तपणं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ चंपाओ नयरीओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।।४।।
-उवा० अ२
उस काल उस समय में भ्रमण भगवान महावीर जहाँ चंपानगरी थी, जहाँ पूर्णभद्र चैत्य था। वहाँ पधारे। पधार कर यथा-अवग्रह ग्रहण कर संयम-तपसे अपनी आत्मा को भावित कर विहरण करने लगे।
तत्पश्चात श्रमण भगवान महावीर अन्यदा कभी चंपानगरी के पूर्णभद्र चैत्यसे निकल कर बाहर जनपद में विहार करने लगे।
उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर जहाँ चंपा नगरी थी-जहाँ पूर्णभद्र चैत्य था-वहाँ पधारे। पधार कर यथा-अवग्रह ग्रहण कर संयम-तप से अपनी आत्मा को भावित कर विहरण करने लगे।
___ तत्पश्चात् भ्रमण भगवान महावीर अन्यदा चम्पा नगरी के पूर्णभद्र चैत्य से निकल कर बाहर जनपद विहार करने लगे।
(3) चंपा नयरी । पुण्णभद्दे उजाणे । पुण्णभहे जक्खे। दत्ते राया। रत्तवतीदेवी । महबंदे कुमारे जुवराया। x x x | तित्थयरागमणं ।
-विवा० श्रु २/अE
चम्पा नाम की नगरी थी। वहाँ पूर्णभद्र नामक उद्यान था । वहाँ के राजा का नाम दत्त, उनकी रानी का नाम रूपवती तथा महचन्द नाम का उनका कुमार-युवराज था । श्रमण भगवान महावीर का पदार्पण हुआ।
(ड) तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपा नाम नयरी होत्था x x x पुण्णभद्दे चेइए । तत्थणं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए कूणिए नाम राया होत्था।xxx। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए । परिसा निग्गया।
-निर० व १/सू० ४,८
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