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उस काल उस समय में रोहीतक नाम का नगर था । पृथिव्यवतंसक नामक उद्यान था । धरण नामक यक्ष, अर्थात् वहाँ यक्ष का स्थान था । वैश्रमणदत्त नाम का राजा था । श्रीदेवी नाम की रानी थी। पुष्पनंदी कुमार युवराज था ।
उस काल उस समय में श्रमण भगवान् महावीर का पदार्पण हुआ । दर्शन कर वापस पधारीं !
- ११ वर्धमानपुर नगर में
ते काणं समरणं वड्ढमाणपुरे नामं नयरे होत्था । विजयवाड्ढमाणे उज्जाणे | माणिभद्दे जक्खे | विजय मित्ते राया ॥२॥
xxx | समोसरणं परिसा जावगया || ३ ||
- विवा० श्रु १/अ १०
उस काल—उस समय में, वर्द्धमानपुर नामक एक नगर था, वहाँ विजयवर्द्धमान नाम का एक सुन्दर उद्यान था जहाँ यक्ष माणिभद्र का निवास स्थान था । उस नगरी का राजा विजयमित्र था ।
उसी काल उसी समय में 'श्रमण भगवान महावीर वहाँ पधारे। परिषद् वापस लौट गई।
• १२ आमलकल्पा नगरी में
तेणं कालेणं तेणं समएणं आमलकप्पा णामं णयरी होत्था x x x | तीसेणं आमलकप्पाए जयरीए बहिया उत्तरपुर स्थिमे दिसिभाए, अंबसालवणेणामं चेइए होत्था जावपडिरूवे असोयबरपायवे पुढविसिलापट्टए । × × × ।
या धारिणी देवी सामी समोसढे परिसानिग्गया राजा जाव पज्जु
वासइ ।
यावत् परिषद्
- राय० सू २
उस काल उस समय
आमलकल्पा नाम की नगरी थी । उस आमलकल्पा नगरी के बाहर उत्तर और पूर्व दिशा के बीच ईशान कोन में अंबशाल नामक यक्ष का यक्षाय -
तन था ।
उस अंबशाल वन के मध्य भाग में अशोक नामक वृक्ष था । जिसके नीचे पृथ्वीशिलापट्ट था ।
उस आमलकल्पा नगरी में श्वेत नामक राजा राज्य करता था जिसकी धारिणी पट्टरानी थी ।
उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर साधु-साध्वियों के साथ आमलकल्पा नगरी के अंबशाल नामक बाग में पधारे। परिषद् धर्मकथा सुनकर वापस गयी । श्वेत राजा भगवान की सेवा करने लगा ।
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