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.८ साहंजनी नगरी में
तेणं कालेणं तेणं समर्पणं साहंजणी नामं नयरी होत्या | २|
तीसेणं साहंजणीए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिलीभाए देवरमणे नाम उज्जाणे होत्था ||३||
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तत्थणं साहंजणीए नयरीए महचंदे नामं राया होत्था ॥५॥
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए । परिसा राया निग्गए । धम्मो कहिओ । परिसा गया ॥ ११ ॥
.९ पाटलिसंड नगर में
उस काल उस समय में साहजनी नाम की नगरी थी। उस साहंजनी नगरी के बाहर उत्तर-पूर्व में दिशा के मध्य भाग में देवरमण नाम का एक उद्यान था । उस साहजनी नगरी का तत्कालीन राजा महाचन्द्र नाम का था । उस काल उसी समय में श्रमण भगवान महावीर साहजनी नगरी के देवरमण उद्यान में पधारे । उनका आगमन जानकर उनके दर्शनार्थ जनता एवं राजा श्रमण भगवान् महावीर के निकट गये । भगवान ने उन्हें धर्मोपदेश से सम्बोधित किया, जनता और राजा ने धर्मोपदेश का श्रवण पूर्ण संतुष्टि सहित किया और फिर निज-निज गृह लौट गये ।
जवखे ॥२॥
- विवा० श्रु
तेणं कालेणं तेणं समएणं पाडलिसंडे नयरे । 'वणसंडे उज्जाणे । उबरदत्ते
तत्थणं पाडलिसंडे नयरे सिद्धत्थे राया ॥३॥
तेणं कालेणं तेणं समएणं समोसरणं जावपरिसा पडिगया ||६||
१/अ ४
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उस काल - उस समय में पाटलिसंड नगर था । वनसंड नामक उद्यान था । वहाँ उंबरदत्त नामक यक्ष रहता था । उस पाटलिसंड का सिद्धार्थ राजा था । उस समय श्रमण भगवान् महावीर वहाँ पधारे।
- विवा० श्रु १/अ ७
.१० रोहीतक नगर में
तेणं कालेणं तेणं समएणं रोहीडए नामं नथरे होत्था । x x x 1 पुढवीवडेंसए उज्जाणे । धरणो जक्खो । वेसमणदत्ते राया। सिरी देवी । पूसनंदी कुमारे जुवराया ||२||
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तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जावपरिसा पडिगया । ५
- विवा श्रु १ / अ
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