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________________ ( १०८) णिवेएइ । तस्स णं पुरिसस्स बहवे अण्णे पुरिसा दिण्ण-भति भत्त-वेयणा भगओ पविन्तिवाउआ भगवओ तद्देवसिअं पवित्ति निवेदेति । × × ×/ - ओव० सू० १, २, ३, ८, १३, १४, १५, १६, १७ उस काल उस समय में 'चम्पा' नाम की नगरी थी । उस चंपा नगरी के बाहर उत्तर-पूर्व दिशा के भाग में 'पूर्णभद्र' नाम का चैत्य था । बहुजन पूर्णभद्र चैत्य पर आ-आकर अर्चना करते थे । वह पूर्णभद्र चैत्य एक बहुत बड़े वनखंड से, दिशा विदिशा में चारों ओर से घिरा हुआ था । उस वनखंड के लगभग मध्यभाग में एक विशाल अशोक वृक्ष था । वहाँ, उस श्रेष्ठ अशोकवृक्ष के नीचे, उसके थड़ के कुछ समीप पृथ्वी का एक बड़ा शिलापक था । उस चंपानगरी में 'कूणिक' नाम का राजा रहता था । उस कूणिक राजा की धारिणी नाम की रानी थी। उस कूणिक राजा ने भगवान् की ( विहारादि ) प्रवृत्ति को जानने के लिए, एक पुरुष को विपुल वृत्ति ( आजीविका देकर नियुक्त किया था, जो भगवान् की उस दिन संबंध ( प्रत्येक दिन की ) प्रवृत्ति का, उससे निवेदन करता था । उस पुरुष के भी बहुत से अन्य पुरुष भगवान की प्रवृत्ति के निवेदक थे । जिन्हें दैनिक आजीविका और भोजन रूप वेतन देकर रोक रखे थे । वे उसे भगवान् की देवसिक प्रवृत्ति के समाचार देते थे । भगवान महावीर और धर्म-संदेशवाहक तएण से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे हट्ठतुट्ठ-चित्तमाणंदिए पीइमणे परम- सोमणस्सिए हरिस-वस- विसप्पमाण हियए हाए कयबलिकम्मे कयको अ-मंगल- पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्घा भरणालं किय-सरीरे, सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ । - ओव० सू० २० तब भगवान् की प्रवृत्ति के निवेदक उस पुरुष ने यह बात जानकर, हर्षित या विस्मित और संतुष्ट चित्त, आनंदित ( किञ्चित् मुख- सौम्यता आदि भावों से समृद्ध ), मन में प्रीति से युक्त, परम, सुन्दर मानसिक भावों से सम्पन्न और हर्षावेश से विकसित हृदयवाला होकर स्नान, बलिकर्म, कौतुक मंगल और प्रायश्चित करने के बाद, स्नान से शुद्ध बने हुए, शरीर पर मंगल वस्त्रों के वेश को सुन्दर ढंग से पहनाकर, थोड़े भारवाले बहुमूल्य आभूषणों से शरीर को सजाया । फिर वह अपने घर से बाहर निकला ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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