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को अपरिहार्य बताया गया और पत्र-पत्रिकाओं में समीक्षा के रूप में जिस तरह मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की गई, यही इसकी उपयोगिता तथा सार्वजनिनता को आलोकित करने में सक्षम है।
____इसके बाद उनके साथी श्री जवरमलजी भंडारी, जैन दर्शन समितिके भूतपूर्व अध्यक्ष श्री नवरतनमल सुराना, मोहनलालजी वैद, श्री मांगीलालजी वणिया, स्व० ताजमलजी बोथरा, धर्मचन्दजी राखेचा, हनुतमलजी बांठिया, चन्दनमलजी मणोत, बच्छराजजी सेठिया, नेमचन्दजी गधइया आदि महानुभावों ने इस कार्य को अपने हाथ में लेकर' वर्धमान जीवन कोश, तृतीय खण्ड प्रकाशित करने की योजना बनायी। इसके प्रति समिति इन सजनों को धन्यवाद ज्ञापित करती है
इस महत्वपूर्ण ग्रन्थ को प्रकाशित करने में श्री जवरमलजी भंडारी के द्वारा भगवतीलाल सिसोदिया ट्रष्ट हमें १००००) रु. तृतीय खण्ड प्रकाशनार्थ देकर उत्साहित किया और अन्य सजनों के इस उत्साह के वातावरण में यथाशक्ति रूप से देकर और उत्साह बढ़ाया। इसके लिए समिति उन्हें धन्यवाद ज्ञापन करती है
सहायक दाताओं के नाम निम्न प्रकार है१-श्री भगवतीलाल सिसोदिया ट्रष्ट-जोधपुर
१००००) २-श्री तिलोकचंद हंसराज पब्लिक ट्रष्ट, कलकत्ता
५५००) १-श्री भंडारी सेवा निधि, कलकत्ता
१५००) ४-श्री थानमल सुराना, चेरिटेबल ट्रष्ट, कलकत्ता
१०००) ५-श्री नवरतनमल सुराना, कलकत्ता
२५०) ६-श्री हनुमान चेरिटीट्रष्ट, जयपुर
२५०) ७-श्री ज्ञानचन्द गुलाबचन्द, कलकत्ता
२५०) ८-श्री जंवरीमल बैद
२५०) है-श्री नगराज बरडिया
२५०) १०-श्री सोहनलाल दुगड़
२५०) ११-श्री रावतमल हरखचंद १२-श्री देवचन्द दुगड़
२५०) १३-श्री रतनचन्द नाहटा, अहमदाबाद
२५०) १४-श्री सुजानमल चोरड़िया, टमकोर
२५०) १५-श्री केशरीचन्द जीतमल, कलकत्ता १६-श्री चम्पालाल आंचलिया ,
२५०) १७-श्री मोहनलाल बैद ,
२५०) १८-श्री हनुतमल बांठिया १६-श्री जयचन्दलाल सेठिया ,
२५०) २०-श्री स्वागत फंड सभा, जयपुर
२५.०)
२५०)
२५०)
बांठिया
,
२५०)
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