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( 16 ) __ऐतिहासिक दृष्टि की सामग्री से जिस प्रकार बौद्ध त्रिपिटक तात्कालीन राजाओं का विवरण प्रस्तुत करते हैं, उसी प्रकार जैन आगम भी करते हैं। श्रेणिक बिम्बिसार, अजात शत्र कूणिक, चंद्रप्रद्योत, वत्सराज उदयन, सिन्धु सौ वीर के राजा उद्रायण आदि राजाओं के सम्बन्ध में दोनों धर्मशास्त्रों में अपने-अपने ढंग से व्यौरा प्रस्तुत किया है। उनमें से कुछ बौद्ध धर्म के अनुयायी थे तथा कुछ दोनों धर्मों के प्रति सहानुभूति रखने वाले थे।
विद्वान् अन्वेषकों के लिए तीर्थंकर भगवान महावीर के इस भांति के वर्गीकृत कोश ग्रन्थों की उपादेयता के विषय में कोई दो मत नहीं हो सकता। परिश्रम साध्य व समय सापेक्ष इस कार्य को इतने सुचारू रूप से सम्पादन करने के लिए हम विद्वान पण्डित श्री श्रीचंदजी चोरड़िया का आन्तरिक भाव से अभिनन्दन करते हैं। साथ ही जैन दर्शन के समिति और उनके कार्यकर्ताओं को भी इसके प्रकाशन के लिए धन्यवाद देते हैं ।
-ज्योति प्रसाद जैन
ज्योति निकंज चारबाग-लखनऊ १२ जून, १९८७
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