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३१८००० ४२ वर्ष कार्तिक कृष्णा अमावस्या एकाकी सिद्ध ७२ वर्ष २५० वर्ष
२२. श्राविका संख्या २३. दीक्षापर्याय २४. निर्वाण तिथि २५. मोक्ष परिवार २६. आयुमान २७. अंतरमान ( जिन तीर्थंकर के
नीचे अंतर दिया है वह उसके पूर्ववर्ती तीर्थंकर के निर्वाण के उतने समय बाद सिद्ध हुआ) स्वप्न गोत्र-वंश वर्ण विवाह गृहवास के ज्ञान दीक्षा के समय ज्ञान दीक्षा नगर दीक्षा वृक्ष दीक्षा तप दीक्षा परिवार प्रथम पारणे का समय प्रथम पारणे का आहार केवलोत्पत्ति स्थान
चतुर्दश महास्वप्न काश्यप गोत्र, इक्ष्वाकुवंश तप्त सोने के समान हुआमति-श्रत-अवधि ज्ञान । मनः पर्यव ज्ञान की उपलब्धि अपनी जन्म भूमि अशोक वृक्ष बेले का तप अकेले दीक्षा के दूसरे दिन अमृत रस के सदृश स्वादिष्ट क्षीरान्न जम्भिक के बाहर-ऋजुवालिका नदी के तीर पर बेले का तप अंतिम प्रहर में दूसरे समवसरण में तीर्थ और संघ की स्थापना हुई बेले का तप पावापुरी पयकासन २७ भव बीसों बोलों की आराधना की
केवल ज्ञान तप केवल ज्ञान वेला तीर्थोत्पत्ति
निर्वाण तप निर्वाण स्थान मोक्षासन भवसंख्या-सम्यक्त्व के बाद बीस बोलों में किसकी आराधना कर तीर्थकर गोत्र का बंधन तीर्थंकरों के पूर्वभव का श्रुतज्ञान
ग्यारह अंग सूत्र धारी
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