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वर्धमान जोवन - कोश
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इस प्रकार कपिल आदि अपने शिष्यों के लिए अपने कल्पित तत्व का उपदेश देता हुआ सम्राट भरत का पुत्र मरीचि चिरकाल तक इस पृथ्वी पर भ्रमण करता रहा। आयु के अन्त में मरकर वह ब्रह्मस्वर्ग में दस सागर की आयुवाला देव हुआ 1
*०५ भगवान महावीर का जीव
कौशिक परिव्राजक भव में अथवा जटिल ब्राह्मण भव में
• १ कौशिक परिवाजक भव में (श्वे० )
(क) ततः (ब्रह्मदेवलोकस्य ) आयुष्यकक्षायात् च्युत्वा ' को सियकोल्लाएस' त्ति कोल्लाकसनिवेशे कौशिको ब्राह्मणो बभूव, 'असीतिमाउ' च संसार' त्ति स च तत्राशीतिपूर्वशतसहस्राण्यायुष्कमनुपालय XX×। कोसिअ कुल्लागम्मी असीइमाउ' च संसारो ॥
- आव० निगा० ४४० / मलय टीका
(ख) च्युत्वा मरीचिजीवोsपि कोल्लाके सन्निवेशने । कौशिकाख्यः पूर्वलक्षाशीत्यायुर्ब्राह्मणोऽभवत् ॥ ७५ ॥
स सदा विषयासक्तो द्रव्योपार्जनतत्परः । हिंसादिषु च निःशूकः कालं भूयांसमत्यगात् ॥७६॥ - त्रिशलाका० पर्व० १० स० १
(ग) मिरीयीवि देवलोगाओ चविऊण कोल्लागसन्निवेसे कोसिओ णाम बम्भणत्तणेण समुप्पण्णे । तत्थयअसीति पुव्वलक्खे आउयमणुवालिऊण, अन्तेय परिव्वायगत्तणेणं विहरिऊण, कालं च काऊण मओ । - चउप्पन्न० पृ० ६७
भगवान महावीर का जीव ब्रह्म देवलोक से चवन करके कोल्लाकसन्निवेश में कौशिक ब्राह्मण रूप में उत्पन्न हुआ तथा उसकी आयुष अस्सी लाख पूर्व की थी ।
'२ जटिल ब्राह्मणभव में – (दिग्० )
( क अथेह भारते पूर्णां साकेतायांद्विजोवसेत् । कपिलाख्यः प्रिया तस्य कालीनाम्ना बभूव हि ।। १०७ ॥ तयोः स निर्जरः स्वर्गादेत्यांभूज्जटिलाभिधः । सुतो दुर्मतसंलीनो वेदस्मृत्यादिशास्त्रवित् ।। १०८ ।। पूर्वसंस्कारयोगेन परिव्राजक एव सः । भूत्वा मूढजनैर्वन्द्यः स्वकुमार्गं प्रकाशयन् ।। १०६ ।। वीरच० अधि २
इस भारतवर्ष में साकेतापुरी के भीतर कपिल नाम का एक ब्राह्मण रहता था । उसकी काली नाम की स्त्री थी । उन दोनों के वह देव स्वर्ग से चयकर जटिल नाम का पुत्र हुआ। वह कुमत में संलीन रहता था और वेद, स्मृति आदि शास्त्रों का विद्वान् था | पूर्व संस्कार के योग से वह पुनः परिव्राजक होकर कुमार्ग का प्रकाशन करता हुआ मूढजनों से वंदनीय हुआ ।
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