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गणधरों का जीवन परिचय
दिगम्बर शास्त्रों में भगवान् महावीर के ११ गणधरों के नाम और कहीं परउनके माता-पिता आदि का उल्लेख मात्र पाया जाता है, पर श्वेताभ्वर शास्त्रों में इन गणधरों का विस्तृत वर्णन उपलब्ध है। यहां श्वेताम्बर शास्त्रों के आधार पर उनका परिचय दिया जा रहा है
र
३
४
६ ७
८ Ĉ १०
११ १२
१४
संख्या नाम गणधर पिता का नाम माता का नाम गोत्र नाम जन्म नक्षत्र जन्मस्थान गृहस्थ- दीक्षास्थान शिष्य छमस्थ केवलि- सर्वायु निर्वाणकाल गणधर बनने
जीवन
संख्या काल काल
के पूर्व शंका
२
४
५
इन्द्रभूति
अग्निभूति
वायुभूति
व्यक्त
सुधर्मा
દ मंडित
७
र
भूि पृथ्वी
(ब्राह्मण)
"1
धनमित्र
धम्मिल्ल
गौतम
"
धनदेव
मौर्यपुत्र
मौर्य
अकंपित देव जयन्ती
अचलभ्राता वसु
नन्दा
"
वारुणी भारद्वाज श्रवण
ज्येष्ठा गोबरग्राम ५० वर्ष मध्यमपावा ५०० ३० वर्ष १२ वर्ष १२ वर्ष ४२ वर्ष
(मगध )
वशिष्ठ
काश्यप
गौतम
हारित
कृत्तिका
स्वाति
21
"
महिला अग्निवेश्यायन उत्तरा
फाल्गुनी
विजया
मघा मोर्यसन्निवेश ५३
कोल्लाग ५० " (मगध )
४६,
(४०अपूर्ण
४२
"
रोहिणी
"1
मृगशिरा मिथिला
उत्तराषाढ़ा कोशल
५०,
19
६५ "
४८
フラ
४६ "
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17
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11
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17
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५०० १२, १६,
"1
५०० १०,१८,, ७०,,
५०० १२, १८,,
५०० ४२,,
३५० १४,,
३५०
३००
३००
१४ ।
मेनार्य
दत्त
वरुणा
११
प्रभास
३००
८
कौडिन्य अश्विनी तुंगिक सन्निवेश ३६,, ३०० १०, बल अतिभद्रा राजगृह १६ पुण्या अग्निभूति की आयु के सम्बन्ध में समवाओ की अभयदेव सूरिकृत टीका में इसका स्पटीकरण किया गया है । - देखो पृष्ठ २४० सभी गणधरों का निर्वाणस्थान वैभारगिरि ( राजगृह) था।
६, २१
"
१२,
१६,
१६,
"
"
१४,
,, १००,
७४”
"
१६ "
८०
21
८३ "
६५"
७८
७२
४०
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६२ "
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२८
२८
37
३० "
५०
३०
३०
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11
जीव के
अस्तित्व में
कर्म के
विषय में
जीव व शरीर
के विषय में
पंचभूतों से
जीवोत्पत्ति के
विषय में
"
19
नरक के विषयमें
१६, पुण्य के विषय में
परलोक के
२६.
विषय में २४, मोक्ष के विषय में
मरण के बाद
उसी पर्याय में
उत्पन्न होता है
और मोक्ष
के विषय में