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बधमान जीवन-कोश .. व्यन स्वामी के माना-पिता के नाम : कोल्लाकऽभूद्धनुमित्रो धम्मिलश्च द्विजस्तयोः। पुत्रौ व्यक्तः सुधर्मा च वारुणीभद्रिलाभवौ ॥५॥
- -त्रिशलाका० पर्व १०/सर्ग ५ ___ कौलाक ग्राम में धनुमिव और धम्मिल नामक दो ब्राह्मण थे। उनके वारुणी और भद्दिला नाम की स्त्रियों से व्यक्त और मधमा नामक दो पुत्र हुए थे।
.३ व्यक्त गणधर की आयु : कोल्ट,ग-सन्निवसे उप्पण्णो जयइ गणहर-चउत्था। धारिणि-धणमित्त-सुओ असीइ-वरिसाउओ वुत्तो।।
-धर्मोप० पृ० २२७ व्यक्त गणधर के माता का नाम धारिणी व पिता का नाम धनमित्र था। अस्सी वर्ष की आयु थी। कोल्लाग सन्निवेश (मगध) जन्मस्थान था ।
.४५ पंचम गणधर-सुधर्मा गणधर .५ सुधर्म गणधर का भगवान के पास अगमन, मंशय निवारण और दीक्षा-- (क) ते पचहा मोउ मुहम्म आगत् छई जिणसगास । वच्चामि ण वंदामी वंदित्ता पज्जुवासामि ॥६१४।। मलय टोका-नान इन्द्र भुतिप्रमु वान प्रव्रजितान श्रुत्वा सुधर्मः पंचमो गणधरो जिनसकाशं-भगव
समीपमागच्छति, किं तेनाध्यवसायेनेत्याह, पश्चाद्धं पूर्ववत् ।। सच भगवन्तं दृष्ट्वाऽ
नोव मुमुदे, अन्नान्तरेआभट्टा य निण ण जाहजगमरण विप्पमुक्क ण । नामणय गोतंणय सव्वन्नमव्वदरिसीण ।।६५५।। मलय टोका - अम्या व्य.ख्या एवं बत।
किं मन्ने जाग्मिो इह भवंमि सो तारिमो परभवे वि ।
वयपयाण य अत्थं न याणसी नमिमो अत्थो ।। ६५ ।। मलय टोका किं मन्यसे या मनुष्यादिदिशं इह भी स परभवे ऽपि तादश एव. नन्वयमनुचितस्तव
संशयो. यनोऽसौ वि वेदपदश्रुतिनिबन्धनः, तानि चामनि पदानि-पुरषो वै पुरुषत्वमश्रत पशवः पशुत्व, मित्यादि, तथा शृगालो वरख जायते यः सपुरीपो दह्यते इत्यादि च, तत्र वेदपदानां त्वमित्थमर्थमवयुद्वयर,-पुर.पो मतः सन पुत्पत्वमश्रते.प्र.प्नोति पशवा गवादयः पशुत्वमेव, अभनि वेदपदानि किल भवान्तग्मादृश्य:तिपादकानि, तथा शृगालो व एप इत्यादोनि तु वैमा श्यप्रापकानि ततः संशयः, अन्यच यत्तेऽ भिनायो यथा कारण नुरूपं कायं भवनि, न खलु शालिवीकात गोधमाङ्क र प्रमतिः.
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