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वर्धमान जीवन - कोश
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नोट - 'चउप्पन्न महापुरिसचरियं' में कहा है कि कोशिक परिब्राजक मरकर सौधर्मं देवलोक में गया । वहां से कब अग्नोद्योत ब्राह्मण हुआ । परन्तु अन्यान्य ग्रन्थों में लिखा है कि कौशिक परिव्राजक ईशान देवलोक अथवा देवलोक में उत्पन्न हुआ। वहां से व्यवन कर पुष्यमित्र ब्राह्मण के रूप में उत्पन्न हुआ ।
[ दिगम्बर और श्वेताम्बर परम्पराओं में भगवान महावोर के जीवन वृत्त विषयक अम्नाय भेद इस प्रकार है ! श्वेताम्बर
दिगम्बर
भगवान महावीर की माता त्रिशला चेटक की बहिन थी । राजकुमार महावोर का विवाह बसंतपुर नगर के महासामंत समरवीरा की पुत्री यशोदा के साथ हुआ ।
दीक्षा के पूर्व भगवान् के माता-पिता देवंगत हो चुके थे । भगवान् महावीर का प्रथम धर्मोपदेश बैशाख शुक्ला एकादशी मध्यम पावापुरी में हुआ । भगवान् महावीर वाणी द्वारा उपदेश देते थे । भगवान् महावीर केवली होने के पश्चात् भी आहार करते थे ।
भगवान् महावोर के निर्वाण के पश्चात् प्रथम आचार्य सुधर्मा हुए।
वर्धमान की जन्म कुण्डली
युधिष्ठर सं० २६६१ को तिथि चैत्र शुक्ला १३ वार मंगलवार उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र
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जन्म ईस्वी पूर्व ५६६
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भगवान् महावीर की माता त्रिशला चेटक की पुत्री थी। राजकुमार महावीर के सामने कलिंग नरेश जितशत्रु की पुत्री यशोदा के साथ विवाह करने का प्रस्ताव आया पर उन्होंने विवाह नहीं किया ।
दोक्षा के समय भगवान् के माता-पिता विद्यमान थे । भगवान् महावीर का प्रथम धर्मोपदेश श्रावण कृष्णा एकम विपुलाचल पर्वत पर हुआ ।
भगवान् महावीर दिव्यप-ध्वनि द्वारा उपदेश देते थे । भगवान् महावीर केवली हाने के पश्चात् आहार नहीं करते थे ।
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भगवान् महावीर के निर्वाण के पश्चात् प्रथम आचार्य गोतम हुए ।
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निर्वाण ईस्वी पूर्व ५२७
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चं
उम्र ७२ वर्ष
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