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________________ पुद्गल-कोश ५०१ धुवसुण्णवग्गणाणं च ण वग्गणतं होज्ज, सरिसधणियाभावादो। ण च एवं, वग्गणाणं तेवोससंखाए अभावप्पसंगादो। - कसायपा. विह ४ । भा ५ । गा २२ । टीका । पृ० ३४९ द्रव्याथिक नय की अपेक्षा समान अविभाग प्रतिच्छेदों के धारक अनंत परमाणुओं की एक वर्गणा होती है, पर्यायाथिक नय की अपेक्षा एक वर्ग की वर्गणा होती है। वर्ग में वर्गणा इसलिये हैं- क्योंकि उपरिम एक पंक्ति को देखते हुए पंक्ति का वर्ग भी सविकल्प है, अत: उसके वर्गणा होने में कोई विरोध नहीं है। यदि बिरोध हो तो महास्कंध वर्गणा और ध्र वशून्य वर्गणाएँ भी वर्गणा नहीं हो सकती, क्योंकि उनमें समान धनवालों का अभाव है। किन्तु ऐसा नहीं है, क्योंकि ऐसा होने से वर्गणाओं की जो तेईस संख्या बतलाई गई है उसके अभाव का प्रसंग प्राप्त होता है। •७ द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव के आश्रय स्कंध पुद्गल की वर्गणा ( मूल पाठ के लिए देखो क्रमांक १३ ) .१ द्रव्य अपेक्षा टोका-इतो द्रव्यक्षेत्रकालभावानाश्रित्य पुद्गलवर्गणेकत्वं चिन्त्यतेपूरणगलनधर्माणः पुद्गलाः, ते च स्कन्धा अपि स्युदिति विशेषयति-परमाणवो निष्प्रदेशास्ते च पुद्गलाश्चेति विग्रहस्तेषां, एवं करणात्, दुपएसियाणं खंधाणं तिचउपंचछसत्तट्टनवदससंखेज्जपएसियाणं असंखेज्जपएसियाणं अनंतपएसियाणमिति दृश्यमिति, कृता द्रव्यतः पुद्गलचिन्ता। •२ क्षत्र अपेक्षा ___ अतः क्षेत्रतः क्रियते-'एगा एगपएसे' त्यादि, एकस्मिन् प्रदेश क्षेत्रास्यावगाढ़ा:-अवस्थिता एक प्रदेशावगाढ़ास्तेषां ते च परमाणवादयोऽनन्तप्रादेशिकस्कन्धान्ताः स्युः अचिन्त्यत्वात् द्रव्यपरिणामस्य, यथा- पारदस्यकेन कर्षण चारिताः सुवर्णस्य ते सप्ताप्येकी भवन्ति, पुनर्वामिताः प्रयोगतः सप्तव त इति ।' .३ काल अपेक्षा कालत साइ- 'एगा एगसमए' त्यादि, एकं समयं यावत् स्थितिः परमाणुत्वाविना एकप्रदेशावगाढावित्वेन एकगुणकालादित्वेन वाऽवस्थानं येषां ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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