________________
पुद्गल - कोश
३५३
(ख) दसठाणाई छउमत्थे मणुस्से सव्वभावेणं न जाणइ न पासइ, तंजहा - धम्मत्थिकायं १ अधम्मत्थिकायं २ आगासत्थिकार्य ३ जीवं असरीरपडिबद्ध ४ परमाणुपोग्गलं ५ सद्दं ६ गंधं ७ वायं ८ अयंजिणे भविस्सइ वा नो भविस्सइ ९ अयं सव्वदुक्खाणं अंतं करिस्सइ वा नो वा १० ।
एयाणि चैव उत्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणइ पास, तंजा - धम्मत्थिकायं जाव नो वा करिस्सइ ।
- राय० सू १८६ । पृ० ९५
(ग) छउयत्थे णं भंते ! मणूसे परमाणुपोग्गलं कि जाणइ पासइ, उदाहु न जाणइ न पासइ ? गोयमा ! अत्थेगइए जाणइ न पासइ, अत्थे -
गइए न जाणइ न पासइ ।
- भग० श १८ । ८ । सू ६, ७ । पृ० ७७८
०
(घ) आहोहिए णं भंते! मणुस्से परमाणुपोग्गलं ? जहा छउमत्थे एवं आहोहिए वि, जाव अनंतपए सियं ।
(ङ) परमाहोहिए णं भंते! मणूसे परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणइ तं समयं पासइ, जं समयं पासइ तं समयं जाणइ ? णो इणट्ठे सम । से केणटुणं भंते! एवं वुच्चइ - परमाहोहिए णं मणूसे परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणइ नो तं समयं पासइ, जं समयं पासइ नो तं समयं जाणइ ? गोमा ! सागरे से नाणे भवइ, अणगारे से दंसणे भवइ, से तेणट्टे जं जावनो तं समयं जाणइ, एवं जाव अनंतपएसियं ।
केवली णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं ० ? जहा परमाहोहिए तहा केवल वि, जाव अणं तपएसियं ।
- भग० श १८ | उ ८ । सू १० से १२ | पृ० ७७७-७८ (च) केवली णं भंते ! परमाणुपोग्गलं परमाणुपोग्गले त्ति जाणइ, पासइ ? एवं चेव ( हंता जाणइ, पासइ ) × × ×
- भग० श १४ । उ १० । सू १३ । पृ० ७०८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org