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________________ 3८ पुद्गल-कोश था, सदा है, सदा रहेगा। पुद्गल अतीत, अनन्त शाश्वत काल में था, वर्तमान शाश्वत काल में है, अनागत अनन्त शाश्वत काल में रहेगा। यह ध्र व, नियत, शाश्वत, अक्षय, अव्यय, अवस्थित तथा नित्य है । भाव की अपेक्षा पुद्गल वर्ण, गंध, रस तथा स्पर्श वाला है। इसमें पाँच वर्ण, दो गंध, पाँच रस तथा आठ स्पर्श हैं। पुदगल परिणामी है। पुद्गल का पाँच प्रकार से परिणमन होता है। यह वर्ण, गंध, रस, स्पर्श तथा संस्थान परिणामी है । वर्ण परिणमन पाँच प्रकार का है-काला-नीला-लाल-पीला-श्वेत । गंध परिणाम दो प्रकार है-सुगंध तथा दुर्गन्ध । रस परिणाम पाँच प्रकार का है-तिक्त, कटु, कषाय, आम्ल तथा मधुर । स्पर्श परिणाम आठ प्रकार का है --कर्कश तथा मृदु ; गुरु तथा लघु ; शीत तथा उष्ण ; रूक्ष तथा स्निग्ध । संस्थान परिणाम पाँच प्रकार का है-परिमंडल, वृत, व्यंस, चतुष्कोण तथा आयत । पुद्गल का गुरुलघु तथा अगुरुलघु परिणाम भी होता है । गुण को अपेक्षा पुद्गल ग्रहण गुण वाला है। जीव द्वारा पुद्गल का ग्रहण होता भी है। पुद्गल के द्वारा जीवों के औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस तथा कार्मण शरीरों का, श्रोत्र, चक्षु, घ्राण, रस तथा स्पर्श इन्द्रियों का ; मन, वचन तथा काययोगों का तथा श्वासोच्छवास का ग्रहण-प्रवर्तन होता है। पुद्गलास्तिकाय पर बैठना, सोना, खड़े रहना, नीचे बैठना और इधर-उधर आलोटना आदि क्रियाएं की जा सकती हैं। पुद्गल गुरु तथा लघु नहीं है। गुरुलघु तथा अगुरुलघु है। कोई पुद्गल गुरुलघु है, कोई अगुरुलघु है । पुद्गल अनादि पारिणामिक भाव है, सादिपारिणामिक भाव नहीं है। पुद्गल पुद्गलत्व की अपेक्षा अनादि पारिणामिक भाव है। __ द्रव्य की अपेक्षा सप्रदेशी पुद्गल भी होते हैं, अप्रदेशी पुद्गल भी होते हैं। सप्रदेशी पुद्गल भी अनन्त हैं ; सप्रदेशी पुद्गल भी अनन्त हैं। परमाणु पुद्गल अप्रदेशी पुद्गल है, द्विप्रदेशी स्कंध से लेकर अनन्तप्रदेशी स्कंध पुद्गल सप्रदेशी हैं । क्षेत्र की अपेक्षा पुदगल अप्रदेशी भी होता है, सप्रदेशी भी होता है अर्थात् एक आकाश प्रदेश को अवगाहन करने वाला भी होता है, अनेक आकाश प्रदेश को अवगाहन करने वाला भी होता है । काल की अपेक्षा पुदगल अप्रदेशी भी होता है, सप्रदेशी भी होता है, अर्थात एक सयम की स्थितिवाला भी होता है, अनेक समय की स्थितिवाला भी होता है। यह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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