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कृतयुग्म- कृतयुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों में सोलह महायुग्मों के जीव मनोयोगी, वचनयोगी और काययोगी होते हैं । इस प्रकार सोलह महायुग्मों के जीवों के विषय में जानना चाहिए ।
प्रथम समय कृतयुग्म कृतयुग्म संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों के सोलह महायुग्मों के जीव काययोगी होते हैं, मनोयोगी, वचनयोगी नहीं होते हैं ।
यहाँ भी ग्यारह उद्ददेशक है बाकी सब उद्देदेशक के जीव मनोयोगी-वचनयोगी व काययोगी होते हैं ।
कण्हलेस कडजुम्मकडजुम्म-सणिपंचिदिया णं भंते ! x x x सेसं जहा एएस चेव पढमे उद्देसए जाव अनंतक्खुत्तो । ( मणजोगी, वयजोगी, कायजोगी एवं सोलसु वि जुम्मेसु ।
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पढमसमयकण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मसष्णिपंचिदिया णं भंते ! x x x जहा सणिपंचिदियपढम समयउद्देसए तहेव णिरवसेसं xxx एवं सोलसु वि जुम्मे ।
एवं एए वि एक्कारस वि उद्देसगा कण्हलेस्ससए ।
- भग० श० ४० । श० २ । सू १, २
कृष्णलेशी वाले कृतयुग्म कृतयुग्मराशि संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव मनोयोगी, वचनयोगी और काययोगी होते हैं ।
प्रथम समय के कृष्णलेशी कृतयुग्म कृतयुग्मराशि संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव काययोगी होते हैं, मनोयोगी, वचनयोगी नहीं होते हैं । इस प्रकार सोलह महायुग्मों के विषय में
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जानना ।
यहाँ भी ग्यारह उद्दे शक है । बाकी सब उद्देशक के जीव मनोयोगी, वचनयोगी क काययोगी होते हैं ।
एवं गोललेस्सेसु विसयं ।
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इसी प्रकार नीललेश्यावाले जीवों के विषय में जानना चाहिए ।
एवं काउलेस्सस्यं वि ।
--भग० श० ४० श० ३
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भग० श० ४० । श०४
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