________________
( २६४ )
वेउब्धियमिस्सकायजोगी दव्वपमाणेण केवडिया ?
--षट् ० खण्ड ० २ । ५ । सू ९६ । पु ७ 1 पृष्ठ० २८० टीका—सुगमं ।
देवाणं संखेज्जदिभागो।
-षट्० खण्ड ० २ । ५ । सू ९७ । पु ७ । पृष्ठ० २८० टोका-देवरासि संखेज्जवाससहस्सुवक्कमणकालसंचिदसंखेज्जखंडे कदे एगखंडं वेउम्वियमिस्सरासिपमाणं होदि ।
वैक्रियकाययोगी द्रव्य प्रमाण से देवों के संख्यातवें भाग से कम है।
अस्तु देवों में पांच मनोयोगी, पांच वचनयोगी और वैक्रियमिश्र काययोगी-इन देवों से संख्यातवें भाग मात्र राशियों को देव राशियों में से घटा देने पर अवशेष वैक्रियिक काययोगियों का प्रमाण होता है ।
वैक्रियमिश्र काययोगी द्रव्य प्रमाण से देवों के संख्यातवें भाग मात्र है।
अस्तु-संख्यातवर्षसहस्र में होने वाले उपक्रमणकालों में संचित देव राशि के संख्यात खंड करने पर उनमें से एक खंड वैक्रियमिश्र काययोगी राशि का प्रमाण होता है । ( देखो-जीव स्थान द्रव्य प्रमाणानुगम पृ० ४०० का विशेषार्थ)। .०७ आहारक तथा आहारकमिश्र काययोगी का द्रव्य प्रमाण आहारकायजोगीसु पमत्तसंजदा दवपमाणेण केवडिया, चवणं ।
-षट् सू १ । २ । सू ११९ । पु ३ । पृष्ठ० ४०१ टोका-आहारसरीरमण्णगुणट्ठाणसु गस्थि ति जाणावणट्ठ पमत्तगहणं कदं । सेसं सुठ्ठ सुगमं । आहारमिस्सकायजोगीसु पमत्तसंजदा दवपमाणेण केवडिया, संखेज्जा।
-षट् खण्ड• १ । २ । सू १२० । पु ३ । पृष्ठ० ४०२ टोका-एत्थ आइरियपरंपरागदोवएसेण आहारमिस्सकायजोगे सत्तावीस २७ जीवा हवंति। अहवा आहारमिस्सकायनोगे जिणदिलुभावा संखेज्जजीवा हवंति, ण सतावीस, सुत्ते संखेज्जणिद्देसण्णहाणुववत्तीदो मिस्सकायजोगेहितो आहारकायजोगीणं संखेज्जगुणत्तादो च। ण च दोण्हमेत्थ गहणं, अजहण्णअणुकस्ससंखेज्जस्स सव्वगहणादो, सव्वअपज्जत्तद्धाहितो पज्जत्तद्धाणं जहण्णाणं पि संखेज्जगुणत्तदसणादो।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org