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टीका–एगसमओ किण्ण लब्भदे ? ण, एत्थ मरणजोगपरावत्तीणमसंभवादो।
उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं। -षट्० खण्ड० २ । २ । सू ११० । पु ७ । पृष्ठ० १५५
टीका-सुगम।
जीव वैक्रियमिश्रकाययोगी और आहारकमिश्रकाययोगी कम से कम अन्तमुहूर्तकाल तक रहता है । प्रश्न है कि यहाँ एक समय मात्र जघन्यकाल क्यों नहीं पाया जाता है ।
समाधान नहीं पाया जाता, क्योंकि यहाँ मरण और योगपरावृत्ति का होना असंभव है।
तक जीव वैक्रियिकमिश्रकाययोगी और आहारक
अधिक से अधिक अ मिश्रकाययोगी रहता है।
.०९ कार्मणकाययोगी और कालस्थिति कम्मइयकायजोगी केवचिरं कालादो होदि ?
-षट् खण्ड ० २ । २ । सू १११ । पु ७ । पृष्ठ० १५५। ६ टोका-सुगमं ।
जहण्णण एगसमओ।
-षट् खण्ड ० २ । २ । सू ११२ । पु ७ । पृष्ठ ० १५६ टोका-एगविग्गहं कादूण उप्पण्णस्स तदुवल भादो।
उक्कस्सेण तिण्णि समया।
-षट्० खण्ड ० २ । २ । सू ११३ । पु ७ । पृष्ठ० १५६ टोका-तिण्हं समयाणमुवरि विग्गहाणुवल भादो।
कार्मणकाययोगी-कम से कम एक समय तक रहता है, क्योंकि, एक विग्रह ( मोड़ा) करके उत्पन्न हुए जीव के सूत्रोक्तकाल पाया जाता है।
अधिक से अधिक तीन समय तक जीव कार्मणकाययोगी रहता है। क्योंकि तीन समयों के ऊपर विग्रह पाये नहीं जाते हैं।
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