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उक्त जीवों का उत्कृष्टकाल अंतर्मुहूर्त है । १९८ ।
जैसे - मनोयोग और वचनयोग में स्थित मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि कोई देव और नारकी जीव वैक्रियिककाययोगी हुए और उसमें सर्वात्कृष्ट अंतर्मुहूर्तकाल रह करके अन्य योग वाले हो गये । इस प्रकार से उत्कृष्टकालरूप अंतर्मुहूर्त प्राप्त हो गया ।
affar योगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवों का काल ओघ के समान है । १९९ ।
अस्तु नाना जीवों की अपेक्षा जघन्य से एक समय, उत्कर्ष से पल्योपम का असंख्यातवां भाग, तथा एक जीव की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कर्ष से छह आवली, इस रूप में ओघवर्णत्त सासादनगुणस्थान के काल से इसमें कोई भेद नहीं है ।
defecareयोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवों का काल मनोयोगियों के समान है । २०० ।
नाना जीवों की अपेक्षा जघन्यकाल एक समय तथा उत्कृष्टकाल पल्योपम का असंख्यातवां भाग है । एक जीव की अपेक्षा जघन्य से एक समय और उत्कर्ष से अंतर्मुहूर्त है । इस प्रकार से मनोयोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवों से वैक्रियिककाययोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टियों के काल में कोई विशेषता नहीं है ।
-०६ वैक्रियमिश्रकाययोगी जीवों की काल स्थिति
deforfमस्कायजोगीसु मिच्छादिट्ठो असंजदसम्मादिट्ठी केवचिरं
कालादो होंति, णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहुत्तं ।
-- षट्० खण्ड० १ । ५ । सू २०१ । पु ४ । पृष्ठ० ४२६ । ७
टीका - एत्थ तावमिच्छादिट्ठिस्स जहण्णकालो वुच्चदे-सत्तट्ठ जणा बहुआ वादगणो उवरिमगेवज्जेसु उववण्णा सव्वलहुमंतोमुहुत्तेण पर्जात गदा । संपति सम्मादिट्ठीगं वच्चदेसं खेज्जा संजदा सव्वदेवेसु दो विग्गहं कावण पज्जति गदा । किमट्ठ दो विग्गहे कराविदा ? बहुपोग्गलग्गहष्टुं । तं पि किमट्ठ ? थोवकालेण पर्जातिसमाणट्ठ | मिच्छादिट्ठी दो विग्गहे किण्ण कराविदो ? ण, तत्थ वि पडिसेहाभावा ।
उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असं खेज्जदिभागो ।
- षट्० खण्ड ० १ । ५ । सू २०२ । ४ । पृष्ठ ० ४२७ । ८ टीका - सत्तट्ठ जणा उक्कस्सेण असंखेज्जसेढिमेत्ता वा मिच्छादिट्टिणो देवरइएस उववज्जिय वेउब्वियमिस्स कायजोगिणो जादा, अंतोमुहुत्तेण पत गदा । तस्समए चेव अण्णे मिच्छादिट्टिणो वेजव्वियमिस्सकायजोगिणो जादा ।
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