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.०९ बादर एकेन्द्रिय लब्धयपर्याप्तक के उत्कृष्ट योग असंख्यातगुण बादरेइ दियअपज्जत्तयस्स उक्कस्सओ जोगो असं खेज्जगुणो ।
टीका - को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्नदिभागो । एत्थ वि लद्धिअपज्जत्तयस्स बादरेइ दियउक्कस्सपरिणामजोगो घेत्तव्वो, जहष्णुक्कस्सबीणादो बावरेइ दियउक्कस्सपरिणामजोगो णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उवकस्सएयंतावडूजोगं पेक्खिण एदस्स असंखेज्जगुणत्तुवलं भादो ।
- षट्० खण्ड ४ । २ । ४ । सु १५३ । पु० १० । पृष्ठ ३९८ । ९ उससे बादर एकेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तक का उत्कृष्ट योग असंख्यातगुणा है ।
गुणकार पल्योपम का असंख्यातवां भाग है । यहाँ भी लब्ध्यपर्याप्तक बादर एकेन्द्रिय के उत्कृष्ट परिणामयोग को ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि जघन्य व उत्कृष्ट वीणा के अनुसार बादर एकेन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तक के उत्कृष्ट एकांतानुवृद्धियोग को देखते हुए बादर एकेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्त का उत्कृष्ट परिणामयोग असंख्यातगुणा पाया जाता है ।
१० सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तक के जघन्य योग असंख्यातगुण
सुमेई दियपज्जत्तयस्स जहण्णओ जोगो असंखेज्जगुणो ॥
टीकाको गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो । एत्थ सुहुमेद्द - दियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहण्णपरिणामजोगो घेतव्वो ।
- षट्० खण्ड ४ । २ । ४ । सू १५४ । पु० १० । पृष्ठ० ३९९ सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तक का जघन्य योग उससे असंख्यातगुणा है ।
गुणकार पल्योपम का असंख्यातवां भाग है । यहाँ सूक्ष्म एकेन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तक के जघन्य परिणामयोग को ग्रहण करना चाहिए ।
• ११ बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तक के जघन्य योग असंख्यातगुण
बादरेइ दियपज्जत्तयस्स जहण्णओ जोगो असंखेज्जगुणो ।
टीकाको गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो । एत्थ बादरेइ' दियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहण्णपरिणाम जोगो घेत्तव्वो ।
- षट्० खण्ड ४ । २ । ४ सू १५५ । पु० १० । पृष्ठ० ३९९ बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तक का जघन्य योग उससे असंख्यातगुणा है ।
गुणकार पल्योपम का असंख्यातवां भाग है । यहाँ बादर एकेन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तक के जघन्य परिणामयोग को ग्रहण करना चाहिए ।
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