________________
( १०१ ) •३९ सयोगी मनुष्य अक्रियावादी और आयुष्यबंध •४० , विनयवादी •४१ , अज्ञानवादी ,
___ सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी व काययोगी अक्रियावादी अज्ञानवादी व विनयवादी मनुष्य चारों गति का आयुष्य बांधते हैं। •४२ अयोगी क्रियावादी मनुष्य और आयुष्यबंध ( मणुस्साणं )xxx अयोगी य एए ण एगं वि आउयं पकरेइ ।
--भम० श ३० । उ१। सू २९ अयोगी सनुष्य किसी का भी आयुष्य नहीं बांधते हैं । .४३ सयोगी क्रियावादी वाणव्यंतर यावत् वैमानिकदेव और आयुष्यबंध । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा।
-भग० श ३० । उ१। सू २९ सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी व काययोगी क्रियावादी वाणव्यंतर यावत वैमानिकदेव मात्र एक मनुष्य का आयुष्य बांधते हैं। अन्य का नहीं। •४४ सयोगी अक्रियावादी वाणव्यंतर यावत वैमानिकदेव और आयुष्यबंध
पाठ ऊपर देखो। अक्रियावादी-विनयवादी-अज्ञानवादी सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी च काययोगी वाणब्यंतर से वैमानिकदेव चारों प्रकार के आयुष्य का बंध करते हैं । •४५ सयोगी जीव का समवसरण और भवसिद्धिक/अभवसिद्धिक
सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई कि भवसिद्धिया-पुच्छा। गोयमा! भवसिद्धिया, णो अभवसिद्धिया। सलेस्सा णं भंते। जीवा अकिरियावाई कि भवसिद्धिया-पुच्छा। णोयमा! भवसिद्धिया वि, अभवसिद्धिया वि । एवं अण्णाणियवाई वि, बेणइयवाई वि जहा सलेस्सा।xxx। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा।xxx।
--भग० श ३० । उ १ । सू ३२-३४ सयोगी, मनोयोगी, वचनयोगी व काययोगी क्रियावादी जीच भवसिद्धिक होते हैं, अभवसिद्धिक नहीं होते हैं ।
अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी सयोगी यावत् काययोगी जीव भवसिद्धिक भी होते हैं, अभवसिद्धिक भी होते हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org