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सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी व काययोगी क्रियावादी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार क्रियावादी नारकी की तरह एकमात्र मनुष्य का ही आयुष्य बांधते हैं ।
* २७ सयोगी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार और अक्रियावादी की अपेक्षा
आयुष्य बंध
एवं जाव थणियकुमारा जहेव णेरइया ।
- भग० श ३० । उ १ । सू २४
सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी व काययोगी असुरकुमार नारकी योनिक का भी आयुष्य बांधते हैं, मनुष्य का भी आयुष्य बांधते हैं । आयुष्य नहीं बांधते हैं ।
• २८ सयोगी पृथ्वी कायिक और समवसरण की अपेक्षा आयुष्यबंध
सलेस्सा णं भंते ! ( अकिरयावाई x x x अण्णाणियवाई ) एवं जं जं प अस्थि पुढविकाइयाणं तह-तह मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं पकरेइ । णवरं तेउलेस्साए णं किं पि पकरेइ ।
-भग० श ३० । उ १ । सू २६
योगी - काययोगी पृथ्वी कायिकजीव - अक्रियावादी अज्ञानवादी नारकी और देव का आयुष्य नहीं बांधते हैं -- किन्तु मनुष्य और तिर्यंच का आयुष्य बांधते हैं । लेकिन उनके तेजोलेश्या में किसी भी आयुष्य का बंध नहीं होता है ।
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की तरह तिर्यंचदेव व नारकी का
• २९ सयोगी अपकायिक जीव और समवसरण की अपेक्षा आयुष्यबंध एवं आउकाइयाणवि ।
- भग० श ३० । उ १ । सू २७
सयोगी - काययोगी अपकायिक अक्रियावादी व अज्ञानवादी होते हैं । बे लियंच एवं मनुष्य का आयुष्य बांधते हैं - देव व नारकी का आयुष्य नहीं बांधते हैं ।
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• ३० सयोगी वनस्पतिकायिक जीव और समवसरण की अपेक्षा आयुष्य बंध एवं वणस्सइकाइयाण वि ।
- भग० श ३० । उ १ । सू २७
इसी प्रकार सयोगी- काययोगी वनस्पतिकायिक जीव दोनों समवसरण में तिर्यंच व मनुष्य का आयु बांधते हैं । देव का व नारको का आयुष्य नहीं बांधते हैं ।
- ३१ सयोगी अग्निकायिक जीव और समवसरण में आयुष्यबंध • ३२ सयोगी वायुकायिक जीव और समवसरण में आयुष्यबंध
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