________________
[सुत्तंकसहिओ]
૨૮૧
छेएत्ता [छित्वा] छेद्दीन
भग. ५१६,९६२; दसा. ४९; नाया. ८०; विवा, ३७ || छेदन [छेदन] छन, छे त. छओवट्ठाण [छेदोपस्थान] थे नामर्नु मे || पहा. ३८;
यारित्र, पूर्व पर्याय छहान महाव्रतन || छेदारिह [छेदाह) प्रायश्चित्नी से मेह, छेवा આરોપણ કરાય છે તેવો ચારિત્રનો ભેદ યોગ્ય દીક્ષા પર્યાય उत्त. ११०७;
उव. २०; छेओवट्ठावणिय [छेदोपस्थापनिक] यरित्रनो || छेदित्ता [छित्वा] छहीने બીજો ભેદ
सूय. ६७०; नाया. ५३; भग. ९०४;
अंत. ५;
उव. ४९; छेओवट्ठावणियकप्पट्ठिति [छेदोपस्थापनीय- | कप्प. १;
पुष्फि. ३; कल्पस्थिति] छेहोपस्थानीय उत्पनी स्थिति छेदेत्ता [छित्वा] छेद्दीन ठा. २६८;
भग. ११६;
नाया. ४१; छेज्ज [छेद्य] छेवा योग्य
उवा, १२;
अंत. २७; सूय. २६८; जंबू. ६९;
उव. ५१;
पुष्फि . ७; छेत्त क्षेत्र] एमओ 'खेत्त'
दसा. ११० भग. ४०३;
छेदोवट्ठाणचरित्तलद्धि [छेदोपस्थानचरित्रलब्धि] पण्हा. ११; छेत्त [छित्वा] छहीने
છેદોપસ્થાપન ચારિત્રની પ્રાપ્તિ आया. ९१; सूय. ६५०;
अनुओ. १६१; भग. ४०३; जीवा. ३०७
छेदोवट्ठावण [छेदोवस्थान] पूर्वपर्याय छे भने सूर. २४; जंबू. २५८;
નવાનું સ્થાપન, ચારિત્રનો ભેદ छेत्तु [छेत्तृ] छेनार
भग. ९३८; आया. ६७,९७,२२२;
छेदोवट्ठावणिय [छेदोपस्थापनिक यात्रिनो जाने सूय. ४१५; उत्त. ७६०; ભેદ छेत्तुं [छेतुम्] छ। भाटे
ठा. ४६६; भग. ३०८; जंवू. २८;
भग. ३९३,९३५,९३६,९४२ थी ९४७, छेत्तुण [छित्वा] छहीने
९५० थी ९५३; आउ. ५७;
पन्न. १९०; छेतूण [छित्वा] छहीने
| छेदोवट्ठावणियकप्पद्विति [छेदोपस्थापनीयभग, ९४२; महाप. ६६,
कल्पस्थिति] छे४-७५स्थापना पनी स्थिति उत्त. १८१;
ठा. २२०; छेद [छिद्] छेवु
छेदोवट्ठावणियचरित्त [छेदोपस्थापनिकचरित्र] सूय. ६७०
भग. ५२६,६२६; ચારિત્રનો બીજો ભેદ अंत. २०; उव. ४९;
अनुओ. ३०९; पुष्फि . ७; वण्हि . ३;
छेदोवट्ठावणियचरित्तपरिणाम [छेदोपस्थापनिक दसा. ११०,११२
चरित्रपरिणाम] छेहोपस्थानीय नाम: छेद [छेद] छे, 43, 350
ચારિત્ર સંબંધિ ભાવ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org