________________
૨૮૨
आगमसद्दकोसो
पन्न. ४०७;
सम. ४९,२२७; छेदोवट्ठावणियचरित्तविनय [छेदोपस्थापनिकचरित्र नाया. ५४,६१,६२,७३,९३,१५७; विनय] छेहोपस्थापनीय यात्रिन पारन पण्हा . ८,४५; उत्त. १११६; उव. २०;
छेयणकर [छेदनकर] छ६ ४२नार विनाश छेदोवट्ठावणियसंजयकप्पट्टिइ [छेदोपस्थापनिक કરનાર
संयतकल्पस्थिति] छोपस्थापनीय संयमनी आया. ४६७,४६८,४७० थी ४७३, કલ્પસ્થિતિ
छेयणग [छदनक] छेन, शस्त्र बुह, २१५;
अनुओ. २९९; छेय [छेदय] छेj
छेयणगदाइ [छेदनकदायिन] छन-शस्त्र भग. ५८८; राय. ८४;
વિશેષ ને આપનાર छेय [छेक] अक्स२नी १२, इशण, | पन्न. ४०४; विछे, विनाश, vis
छेयायरिय [छेकाचार्य] शियन। १९७२, आया १५७; सूय. ५८०;
નિપુણ-આચાર્ય भग. १६१,१७२,५११,५९८,७६४;
आया. ५२०; भग. ३७२, नाया. १५,६२,११२,१७५;
छेयारिय [छेकाचार्य] शुमा ७५२' पण्हा. १५ उव. ३१;
उव. १,३०, राय. १०,३१,५२,६८,७१ थी ७३; छेलिय [दे. नछीवानो भव।४, सव्यति जीवा. ९८,१०५,१३३,१६४,१७९;
ધ્વનિ दस. ३३,३४, अनुओ. २७५;
पण्हा. १५;
जंवू. ६८; छेय [छिद्] छेवू
नंदी. १३२; वण्हि . ३;
छेवट्ट [सेवात) ७ संघयमांनु छट्टुं संघय। छेय [छेद] हुमो छेद
जीवा. १४,३६,४३,४६; सूय. २६७,२८६,६७३;
पन्न. ५४०,५४१% ठा. ७१०,८४८,९२८; नाया. ६२; || छेवसंघयण सेवातसंहनन] ४सी 6५२ उवा. ४६; जंबू. ३७,४६,१२१;
सम. २५३; वव. १९ थी ३२,६७,१०५ थी १११,
छेवट्ठ (सेवाती सो ७२' ११३,११५,११७,१३७ थी १४०,१४८,
ठा. ५३७,
सम. २५३; १५१,१५२,
भग. ८३८,८३९,८४६,८४७; दसा. ९९,१०१; उत्त. १९४; छेय [छेद] मे प्रा२नु प्रायश्चित
तंदु. ६५;
छोडिय [छोटित] 3j, छोj, धनमुक्त जीय. ४,५९,८१,८२,८६; छेयइत्ता [छेदयित्वा] छ। रीने
કરેલું सम. २२३ थी २२५,२३२;
पण्हा. १९; जीवा. १८५; छेयकर [छेदकर] छेनार, नाश ५२नार
| छोटुं [क्षिप्त्वा] डीन आया. ५३६;
चंद. ४५; उव. २०;
सूर, ४१; छेयण [छेदन] सो ‘छेदन'
छोभ [दे.5वंड, माण सूय. २६८; ठा. ३४,५०५; ।
|| पण्हा. १६;
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org