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जैन-लक्षणावली
संकेत
ग्रन्थ नाम
ग्रन्थकार
प्रकाशक
प्रकाशन काल
उपासका. उपासकाध्ययन सोमदेव सूरि ६२ | उवासग. उवासगदसामो
ऋषिभाषित सूत्र पोध. नि. | अोधनियुक्ति
आ. भद्रबाहु | अोधनि. वृ. पोपनियुक्ति (सभाष्य) | वृत्तिकार द्रोणाचार्य
ऋषिभा.
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी | ई. १९६४ डा. पी. एल. वैद्य, पूना | ई. १९३० ऋषभदेव केशरीमल संस्था, | ई.१९२७
रतलाम प्रा. विजयदान सूरीश्वर जैन, ई. १६५७ ___ ग्रन्थमाला, सूरत
| प्रौपपा. | औपपातिक सूत्र औपपा.अभय. प्रौपपातिकसूत्रवृत्ति
| प्रागमोदय समिति, बम्बई | ई. १९१६ ।
| अभयदेव सूरि
६८ | कर्मप्र.
| कर्मप्रकृति
वाचक शिवशर्म सूरि मुक्ताबाई ज्ञानमन्दिर डभोई | ई. १६३७
(गुजरात)
प्रा. मलयगिरि | मुक्ताबाई ज्ञानमन्दिर डभोई ई. १९३७
(गुजरात) उपाध्याय यशोविजय
| कर्मप्र. चू. | कर्मप्रकृति चूर्णि
कर्मप्र.मलय. कर्मप्रकृति वृत्ति | कमप्र. यशो. कर्मप्रकृति टीका
टी. कर्मवि. ग. कर्मविपाक कर्म वि. पू. कर्मविपाक व्याख्या कर्मवि. ग.
कर्मविपाक वृत्ति परमा. व. कर्मवि. दे. | कर्मविपाक
गर्ग महर्षि
जैन आत्मानन्द सभा, भाव वि. १९७२
नगर
व्या
.
परमानन्द सूरि देवेन्द्रसूरि
ई. १९३४
कर्मवि. दे. कर्मविपाक वृत्ति
स्वो .. ७७ कर्मस्त. कर्मस्तव
|वि. १९७२
कर्मस्त. गो. कर्मस्तव वृत्ति
गोबिन्द गणी
कल्पसू.
कल्पसूत्र
भद्रबाहु
प्राचीन पुस्तकोद्धारफंड, सूरत ई. १६३६
| कल्पसू. स. कल्पसूत्र वृत्ति
समयसुन्दर गणी
बिनय विजय गणी
। कल्पसू. Jविनय..
आत्मानन्द जैन सभा, भाव- ई. १९१५
नगर
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