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जैन-लक्षणावली
संख्या| संकेत
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ग्रन्थ नाम ।
अन्धकार
प्रकाशक
प्रकाशन काल
अष्टस.
अष्टसहस्री
प्रा. विद्यानन्द
निर्णय सागर प्रेस, बम्बई | ई. १९१५
अष्टस. वृ. अष्टसहस्री तात्पर्य विवरण उ. यशोविजय
जैन ग्रन्थ प्रकाशन सभा ई.१६३७
राजनगर मा. दि. जैन ग्रंथमाला, बम्बई | वि.सं. १९७६
अंगप.
अंगपण्णत्ति
शुभचन्द्राचार्य
प्राचारदि. प्राचारदिनकर
वर्धमान सूरि
वीरनन्दी सैद्धान्तिकचक्र-मा.दि. जैन ग्रंथमाला, बम्बई वि. १६७४
प्राचा. सा.,याचारसार आ. सा.
बर्ती
२३ | प्राचारा.सू. आचाराङ्गसूत्र (प्रथम ब
सिद्धचक साहित्य प्रचारक | वि. सं. १६३५ द्वितीय श्रुतस्कन्ध)
समिति, मुम्बई २४ प्राचारा. नि. | आचाराङ्गनियुक्ति | भद्रबाहु प्राचार्य (द्वि.) २५ प्राचारा. शी. आचारांग वृत्ति शीलांकाचार्य २६ | प्राचार्यभ. | प्राचार्यभक्ति (क्रियाक.)| प्रा. पूज्यपाद संपा. पं. पन्नालाल जी सोनी वि. सं. १९९३ प्रात्मप्र. आत्मप्रबोध
कुमारकवि जैन सि. प्रकाशिनी संस्था,
कलकत्ता आत्मानु. आत्मानुशासन गुणभद्राचार्य जैन संस्कृति संरक्षक संघ, | ई. १९६१
सोलापुर प्रात्मानु. वृ. आत्मानुशासन वृत्ति प्रभाबन्द्राचार्य ३० | प्रा. मी. | प्राप्तमीमांसा (देवागम)| समन्तभद्राचार्यभा . जैन सि. प्रकाशिनी संस्था | ई. १९१४
काशी ३१ प्रा. मी. वृ. प्राप्तमीमांसा पदवृत्ति | वसुनन्दी सैद्धान्तिक
चक्रवर्ती
३२ प्राप्त स्थ.
माप्तस्वरूप
मा. दि.जैन ग्रन्थमाला, बम्बई। वि.सं. १९७६
३३ / मारा. सा. माराधनासार
देवसेनाचार्य
वि. सं. १६७३
पालाप.
वि. सं. १९७७
३४ मारा. सा.टी. पाराधनासार टीका | श्री रत्नकोतिदेव पालापपद्धति
देवसेनाचार्य प्राव. सू. | आवश्यकसूत्र (अध्ययन१) कर लि पावश्यक नियुक्ति प्रा. भद्रबाहु (द्वि.)
आद. मा आवश्यक भाष्य ,
दे. ला. जैन. पुस्तको. फंड सूरत वि. १९७६
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