________________
संछइय-संजुद्ध
संछइय संछण्ण
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
वि [ संछन्न ] ढका हुआ ।
संछाय सक [ सं + छादय् ] ढकना ।
[सं+क्षिप् ] एकत्रित कर छोड़ना,
इकट्ठा करना ।
संछोभ पुं [संक्षेप] अच्छी तरह फेंकना । संछोभग वि[संक्षेप] प्रक्षेपक ।
छोभण न [ संक्षेपण ] परावर्तन | संजइ पुंस्त्री [संयति] उत्तम साधु । संजई स्त्री [संयती] साध्वी । संजणग वि [संजनक ] उत्पन्न करनेवाला । संजणण न [संजनन] उत्पत्ति । वि. उत्पन्न करनेवाला । स्त्री. "णी ।
संजणय देखो संजणग ।
संजय वि[संजनित] उत्पादित ।
संजत्त सक [दे] तैयार करना । संजत्ता स्त्री [यात्रा] जहाज की मुसाफिरी । जत्ति स्त्री [] तैयारी | देखो संजुत्ति । संजत्तिअ वि [दे] तैयार किया हुआ । संजत्तिअ वि [ सांयात्रिक] जहाज से संजत्तिग यात्रा करनेवाला, समुद्र-मार्ग का मुसाफिर ।
संजत्थवि [] कुपित । पुं. क्रोध । संजद देखो संजय = संयत ।
संजम अक [सं + यम् ] निवृत्त होना । प्रयत्न करना | व्रत - नियम करना । सक. बांधना । काबू में करना ।
संजम सक [दे] छिपाना ।
संजम पुं [संयम] चारित्र, व्रत, विरति, हिंसादि पाप कर्मों से निवृत्ति । शुभ अनुष्ठान । रक्षा, अहिंसा । इन्द्रिय-निग्रह | बन्धन । काबू | संजम पुं[Tसंयम ] श्रावक - व्रत | संजय अक [सं + यत्] सम्यक् प्रयत्न करना । सक. अच्छी तरह प्रवृत्त करना । संजय वि [संयत ] साधु, व्रती । पंता स्त्री [° प्रान्ता] साधु को उपद्रव करनेवाली देवी
Jain Education International
७८७
आदि । भद्दिगास्त्री [भद्रिका] साधु के अनुकूल रहनेवाली देवी आदि । संजय वि [संयत ] किसी अंश में व्रती और किसी अंश में अव्रती, श्रावक ।
संजय पुं. भ० महावीर के पास दीक्षित एक
राजा ।
संजयंत पुं [संजयन्त] एक जैन मुनि । पुर न. नगर - विशेष |
संजर पुं [संज्वर] ज्वर ।
संजल अक [सं+ज्वल्] जलना । आक्रोश करना | क्रुद्ध होना ।
संजलण वि [संज्वलन ] प्रतिक्षण क्रोध करनेवाला । पुं. कषाय - विशेष | संजलि
[संज्वलित ] तीसरी नरक भूमि
का एक नरक स्थान ।
संजल्ल (अप) देखो संजल ।
संजव देखो संजम = सं + यम् । संजव देखो संजम = (दे ) | संजा देखो संणा ।
संजाय वि[संज्ञायक] विज्ञ, जानकार
संजात
संजाद
संजाय
}
वि [संजात] उत्पन्न ।
संजाय अक [ सं + जन्] उत्पन्न होना । संजीवणी स्त्री [संजीवनी] मरते हुए को जीवित करनेवाली औषधि । जीवित-दात्री -भूमि |
संजीवि वि [ संजिविन् ] जीवित करनेवाला । अवि [संयुत ] सहित, संयुक्त ।
संजु न [ संयुग] लड़ाई | नगर - विशेष | संजुंज सक [ सं + युज् ] जोड़ना । संजुतन [ संयुत ] छन्द - विशेष | संजुअ संयुत ।
संजुता स्त्री [ संयुता ] छन्द- विशेष । संवि[संयुक्त] संयोगवाला | संजुत्ति स्त्री [दे] तैयारी । देखो संजत्ति । संजुद्ध वि [दे] स्पन्द-युक्त, फरकनेवाला ।
For Private & Personal Use Only
=
www.jainelibrary.org