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वोरुढी-स
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष वोरुट्ठी स्त्री [दे] रुई से भरा हुआ वस्त्र। वोसिर वि [व्युत्सर्जन] छोड़नेवाला। वोल अक [गम्] गति करना । गुजारना । सक.. वोसेअ वि [दे] उन्मुख-गत । अतिक्रमण करना। अक. गुजरना । देखो | वोहार न [दे] जल-वहन । बोल = व्यति + क्रम् ।
वोहित्त न [वहित] जहाज, नौका । देखो वोल देखो बोल = दे।
बोहित्थ। वोलट्ट अक [व्युप + लुट] छलकना ।
व्युड पुं [दे] विट, भडुआ। वोलाविअ वि [गमित] अतिक्रामित ।
वंद देखो वंद = वृन्द । वोलिअ । वि [गत] गया हुआ। व्यतीत ।
व्रत्त (अप) वय = व्रत । वोलीण , अतिक्रान्त । वोल्ल सक [आ + क्रम्] आक्रमण करना ।
ब्राक्रोस (अप) पुं [व्याक्रोश] शाप । निन्दा । वोल्लाह पुं. देश-विशेष। देश-विशेष में
विरुद्ध चिन्तन । उत्पन्न ।
वागरण (अप) देखो वागरण । वोवाल पु [दे] वृषभ ।
वाडि (अप) पुं [व्याडि] संस्कृत व्याकरण वोसग्ग पुं [व्युत्सर्ग] परित्याग ।
और कोष का कर्ता एक मुनि । वोसग्ग । अक [ वि + कस ] विकसना ।। व्रास देखो वास = व्यास । वोसट्ट । बढ़ना।
व्व देखो इव । वोसट्ट सक [वि + कासय्] विकास करना ।
व्व देखो वा = अ। बढ़ाना।
"व्वअ देखो वय = व्रत । वोसट्ट वि [विकसित] विकास-प्राप्त । व्ववसिअ देखो ववसिय = व्यवसित । वोसट्ट वि [दे] भर कर खाली किया हुआ। °व्वाज देखो वाय = व्याज । वोसट्ट वि [व्युत्सृष्ट] परित्यक्त । परिष्कार- व्वावार देखो वावार = व्यापार । रहित । कायोत्सर्ग में स्थित ।
व्वावुड देखो वावुड । वोसमिय वि [व्यवशमित] उपशमित। °व्वाहि देखो वाहि। वोसर । सक [व्युत् + सृज्] परित्याग | व्विव देखो इव । वोसिर ) करना।
व्वे अ [दे] संबोधन सूचक अव्यय ।
शिआल (मा) [श्याल] बहू का भाई।
श्चिट (मा) देखो चिट्ठ स्था।
स पुं. व्यञ्जन वर्ण-विशेष, इसका उच्चारण- | जिसमें प्रथम दो ह्रस्व और तीसरा गुरु स्थान दाँत होने से यह दन्त्य कहा जाता है। अक्षर होता है। गार° पुं [°कार] 'स' °अण, गण पुं. पिंगल-प्रसिद्ध एक गण, | अक्षर ।
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