SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 728
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वहि-वत्थि संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७०९ वण्हि पुं [वह्नि] अग्नि। लोकान्तिक देवों की । वत्ति स्त्री [दे] सीमा । एक जाति । चित्रक वृक्ष । भिलावाँ का पेड़ । | वत्ति देखो वट्टि। नीबू का गाछ । वत्ति स्त्री [वृत्ति] प्रवृत्ति । देखो वित्ति। वत देखो वय = व्रत। वत्ति स्त्री [व्यक्ति] एकाकी वस्तु । °पइट्ठा वति देखो वइ = वतिन् । स्त्री [ प्रतिष्ठा] विद्यमान तीर्थंकर के बिम्ब वति देखो वइ = वृति । को प्रतिष्ठा । वतु पुं [दे] निवह, समूह । वत्तिअ वि [वात्तिक] कथाकार । पुन. टीका वत्त देखो वट्ट = वृत् । की टीका । ग्रन्थ की टीका । वत्त देखो वट्ट = वर्तम् । वत्तिअ वि [वत्तित] गोल किया हुआ। वत्त न [वार्ता] आरोग्य । आच्छादित । वत्त वि [व्याप्त] फैला हुआ, भरपूर । °वत्तिअ देखो पच्चय = प्रत्यय । वत्त देखो वट्ट = वृत्त। वत्तिआ देखो वट्टिआ। वत्त वि [व्यक्त] प्रकट । वत्तिणी स्त्री [वत्तिनी] मार्ग । वत्त न [वक्त्र] मुख । °वत्ती देखो पत्ती = पत्नी। °वत्त देखो पत्त = पत्र। वत्तु वय = वच् का हेकृ. । वत्त देखो पत्त = पात्र । वत्त° देखो वत्ता (भवि) । °यार वि [°कार] वत्तुकाम वि [वक्तुकाम] बोलने की चाह वाला। वार्ता कहनेवाला। वत्तुल देखो वटुल। वत्त पुं [व्यत्यय] विपर्यय । उल्लंघन ।। वत्थ पुंन [वस्त्र] कपड़ा। खेड्ड न [°खेल] वत्तडिआ । (अप) देखो वत्ता। ___ कला-विशेष । 'धोव वि [°धाव] वस्त्र वत्तडी । धोनेवाला । पूस पुं [पुष्य]एक जैन मुनि । वत्तण न वर्त्तन]जीविका, निर्वाह । आवृत्ति । | पूसमित्त पुं [पुष्यमित्र] एक जैन मुनि । स्थिति । स्थापन । वर्तन, होना। वि. वृत्ति- विज्जा स्त्री [विद्या] वस्त्र स्पर्श कराने से वाला। रहनेवाला। ही बीमार अच्छा हो जाय वह विद्या। वत्तणी स्त्री [वर्तनी] मार्ग । °सोहग वि [°शोधक] वस्त्र धोनेवाला। वत्तद्ध वि [दे] सुन्दर । बहु-शिक्षित । वत्थ वि [व्यस्त] पृथग्, भिन्न, जुदा । वत्तमाण पुं. [वर्तमान] चलता काल । वि. वत्थउड पुं.[दे. वस्त्रपुट] तंबू । कपड़-कोट । विद्यमान । पुं. विद्यमानता । वत्थंग पुं [वस्त्राङ्ग] वस्त्रदायी कल्पवृक्ष । °वत्तरि देखो सत्तरि। °वत्थर देखों पत्थर = प्रस्तर । वत्ता स्त्री [दे] सूत्र-वेष्टन-यन्त्र । देखो | वत्थलिज्ज न [वस्त्रलिय] दो जैन मुनिचत्ता = (दे)। कुल। वत्ता स्त्री [वार्ता] कथा । वृत्तान्त । वृत्ति ।। वत्थव्व वि [वास्तव्य] निवासी। दुर्गा । खेती । जनश्रुति । गन्ध का अनुभव। वत्थाणी स्त्री [दे] वल्ली-विशेष । काल-कर्तृक भूतनाश । 'लाव पुं [°लाप] | वत्थाणीअ पुन [दे] खाद्य-विशेष । बातचीत । | वत्थि पुं [वस्ति]दृति, मसक । गुदा । छाते में वत्तार वि [दे] गर्वित । शलाका बैठने का स्थान । 'कम्म न[°कर्मन्] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy