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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
वणीमग
माली । 'वास पुं. अरण्य में रहना । 'वासी | वणिम स्त्री. नगरी विशेष | 'विदुग्ग न [विदुर्ग ] नानाविध बृक्षों का समूह । विरोहि पुं [विरोहिन्] आषाढ मास । डन [षण्ड] अनेकविध वृक्षों की घटा । हत्थि पुं [ हस्तिन् ] जंगल का हाथी । लि, शैलि स्त्री. वन- पंक्ति |
भिन्न दूसरी गाय से लगाना ।
वणण न [ दे. व्यान] बुनना । साला स्त्री [शाला ] बुनने का कारखाना । वर्णाद्धि स्त्री [] गो-वृन्द । वनड व [] पुरस्कृत | वणपक्कसावअ पुं [दे] शरभ, श्वापद विशेष । arts पुं [ वनस्पति ] फूल के बिना जिसमें फल लगता हो वह वृक्ष । लता, गुल्म, वृक्ष आदि कोई भी गाछ । न. फल । 'काइअ वि [° कायिक] वनस्पति का जीव ।
वणय पुं [वनक] दूसरी नरक-पृथिवी का एक
नरक-स्थान |
वणरसि (अप) देखो वाणारसी । वणव पुं [दे] दावानल | वणसवाई स्त्री [दे] कोयल | वणस्स देखो वणप्फइ । वणाय वि [दे] व्याध से व्याप्त ।
वणार पुं [दे] दमनीय बछड़ा ।
वणि पुं [ वणिज् ] बनिया | व्यापारी |
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वणिअ
aff [णित] व्रण-युक्त, घाववाला | [वनीपक] भिक्षुक ।
वणिअन [ वणिज] ज्योतिष का एक करण । वणि स्त्री [निका ] वाटिका, बगीचा । वणि स्त्री [ वनिता ] स्त्री, महिला । वणिज देखो वणिअ = वणिज् । वणिज न [ वाणिज्य ] व्यापार । रय वणिज्ज | वि [कारक ] व्यापारी ।
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ans स्त्री [दे] वन-राजि ।
वणण न [वनन] बछड़े को उसकी माता से वणेचर देखो वण-यर ।
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देखो वणीमय | दरिद्र ।
as - हि
वणी स्त्री [वनी] भीख से प्राप्त धन । फलीविशेष, जिससे कपास निकलता है । वणीमग पुं [वनीपक] याचक | भिक्षुक, 1 वणीमय | भिखारी ।
वणे अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय - निश्चय । विकल्प | अनुकम्पनीय | संभावना ।
वण सक [वर्णय् ] वर्णन करना । प्रशंसा करना । रंगना ।
aण पुं[ वर्ण] प्रशंसा | यश । शुक्ल आदि रंग । अकार आदि अक्षर । ब्राह्मण, वैश्य आदि जाति । गुण । अंगराग । सुवर्ण । विलेपन की वस्तु । व्रत- विशेष | वर्णन । विलेपन क्रिया । गीत का क्रम । चित्र । शुक्ल आदि वर्णं का कारण-भूत कर्म । संयम । मोक्ष । न. कुंकुम । 'णाम, नाम पुंन ['नामन्] कर्म-विशेष | 'मंत वि [वत्] प्रशस्त वर्णवाला । 'वाइ वि [' वादिन् ] श्लाघा - कर्ता, प्रशंसक | 'वाय पुं [वाद ] प्रशंसा, श्लाघा । वास पुं. वर्णनपद्धति । वास पुं ['व्यास] वर्णन विस्तार । वण पुं [वर्ण] पंचम आदि स्वर । 'सम न. गेय काव्य का एक भेद ।
वण्ण वि [दे] स्वच्छ । रक्त ।
'वण्ण देखो पण्ण ।
वण्णग देखो वण्णय |
श्रीखण्ड ।
aurण न [ वर्णन् ] श्लाघा | विवेचन । वय पुंन [ दे. वर्णक ] चन्दन, पिष्टातक-चूर्ण, अंगराग । are पुं [वर्ण] वर्णन ग्रन्थ । वर्णन प्रकरण | वणिआ देखो वनिआ ।
वह पुं [वृष्णि] राजा अन्धक - वृष्णि । एक अन्तकृद् महर्षि । अन्धकवृष्णि - वंश में उत्पन्न, यादव । 'दसा स्त्री. ब. [ दशा] एक जैन आगम-ग्रन्थ । पुंगव पुं. यादव- श्रेष्ठ ।
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