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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
अद्दव-अद्ध अद्दव वि [आद्रव] गला हुआ।
परिमाणवाला घड़ा, छोटा घड़ा। °चंद पुं अद्दव्व न [अद्रव्य] अवस्तु ।
[°चन्द्र] आधा चन्द्र, गल-हस्त, गला पकड़ अद्दह सक [आ+द्रह] उबालना, पानी-तैल | कर बाहर करना । न.एक हथियार । अर्ध चन्द्र वगैरह को खूब गरम करना ।
के आकारवाले सोपान । एक तरह का बाण । अद्दहिय वि [आहित] रखा हुआ, स्थापित । 'चक्कवाल न [°चक्रवाल] गति-विशेष । अद्दा स्त्री [आर्द्रा] नक्षत्र-विशेष, छन्द-विशेष । चक्कि पुं [°चक्रिन्] चक्रवर्ती राजा से अर्ध अद्दा पुं [दे] दर्पण । पसिण पुं [प्रश्न] विभूति वाला राजा, वासुदेव । °च्छट्ठ, विद्या-विशेष, जिससे दण में देवता का °छट्ठ वि [°षष्ठ] साढ़े पाँच । 'ट्ठम वि आगमन होता है । विज्ञा स्त्री ["विद्या] | [ष्टम] साढे सात । णाराय न [°नाराच] चिकित्सा का एक प्रकार, जिससे बीमार को चौथा संहनन, शरीर के हाड़ों की रचना-विशेष । दर्पण में प्रतिबिम्बित कराने से वह नीरोग °णारीसर पुं[°नारीश्वर महादेव । तइय होता है।
वि [ तृतीय] ढाई। °तेरस वि [°त्रयोदश अदाइअ वि[दे]आदर्शवाला, आदर्श से पवित्र । साढ़े बारह । °तेवन्न वि [°त्रिपञ्चाश] अद्दाग [दे] देखो अदा।
साढ़े बावन । °द्ध वि [I] चौथा भाग। अद्दि पुं [अद्रि] पर्वत ।
"नवम वि [ नवम] साढ़े आठ । °नाराय अद्दिट्ठ वि [अदृष्ट] नहीं देखा हुआ, दर्शन | देखो °णाराय। पंचम वि [°पञ्चम] साढ़े का अविषय।
चार । °पालिअंक वि [पर्यङ्क] आसनअद्दिय वि [अदित] पीटा हुआ, पीड़ित । विशेष । °पहर पुं [प्रहर] ज्यौतिष शास्त्र अद्दिस्स वि [अदृश्य] देखने के अयोग्य या प्रसिद्ध एक कुयोग । °बब्बर पुं [°बर्बर] अशक्य ।
देश-विशेष । °मागहा, ही स्त्री [°मागधी] अद्दीण वि [अद्रीण] अक्षुब्ध, निर्भीक ।
प्राचीन जैन साहित्य की प्राकृत भाषा, जिसमें अद्दीण देखो अदीण।
मागधी भाषा के भी कोई नियम का अनुसरण अदुमाअ वि [दे] पूर्ण ।
किया गया है। °मास पुं ["मास] पक्ष । अद्देस वि [अदृश्य] देखने के अशक्य ।
पनरह दिन । °मासिय वि [°मासिक] अद्देसीकारिणी स्त्री [अदृश्यीकारिणी] पाक्षिक, पक्षसम्बन्धी। यंद देखो °चंद । अदृश्य बनानेवाली विद्या ।
रन्जिय वि [°राज्यिक] राज्य का आधा अद्देस्सीकरण वि [अदृश्यों करण] अदृश्य
हिस्सेदार । रत्त पुं [रात्र] मध्य रात्रि करना, अदृश्य करनेवाली विद्या ।
का समय, निशीथ। °वेयाली स्त्री [°वेताली] अद्दोहि वि [अद्रोहिन्] द्रोह-रहित, द्वेषवजित ।। विद्या-विशेष। संकासिया स्त्री[°सांकाश्यिका] अद्ध पुन [अर्ध] आवा, अंग। करिस पुं एक राज-कन्या का नाम। °सम न एक वृत्त । [कर्ष] परिमाण-विशेष, फल का आठवाँ । हार पुं नवसरा हार, इस नाम का एक भाग । °कुडव, °कुलव पं एक प्रकार का द्वीप-विशेष । °हारभद्द [ हारभद्र] अर्धहारधान्य का परिमाण । क्खेत्त न [ क्षेत्र एक द्वीप का अधिष्ठाता देव । °हारमहाभद्द पुं अहोरात्र में चन्द्र के साथ योग प्राप्त करनेवाला [हारमहाभद्र] पूर्वोक्तही अर्थ । हारमहावर नक्षत्र । °खल्ला स्त्री [°खन्वा] एक प्रकार पुं अर्धहार समुद्र का एक अधिष्ठायक देव । का जूता । °घडय पुं घटक] आधा । हारवर पुं द्वीप-विशेष, समुद्र-विशेष, उनका
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