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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
लंछ-लगुड लंछ पु [लञ्छ] चोरों की एक जाति । । लक्कुड न [दे. लकुट] लकड़ी, यष्टि, लाठी । लंछण न [लाञ्छन] चिह्न । नाम । अंकन । लक्ख सक [लक्षय] जानना। पहचानना । लंडुअवि [दे.लण्डित] उत्क्षिप्त ।। देखना । देखो लक्ख = लक्ष्य । लंतक पु [लान्तक] छठवां देवलोक । लक्ख पुन [दे] काय । लंतग उसके निवासी देव । उसका इन्द्र ।
लक्ख पुन [लक्ष्] लाख की संख्या । °पाग पु लंतय ) एक देवविमान ।।
[°पाक] लाख रुपयों के व्यय से बनता एक लंद पुन [लन्द] समय ।
पाक । लंदय पुन [दे] गो आदि का खादन-पात्र । |
| लक्ख वि [लक्ष्य] पहचानने-योग्य । जिससे लंपड वि [लम्पट] लोलुप, लालची । जाना जाय वह, लक्षण, प्रकाशक, वेध्य । लंपाग पुं[लम्पाक] देश-विशेष ।
लक्ख देखो लक्खा। . लंपिक्ख पु [दे] चोर।
लक्खग वि [लक्षक] पहचाननेवाला । लंब सक [लम्ब] सहारा लेना । अक लटकना। | लक्खण पुंन [लक्षण] भेद-बोधक चिह्न । लंब विलम्ब] लम्बा, दीर्घ ।
वस्तु-स्वरूप। चिह्न। व्याकरण-शास्त्र । लंब पु[दे] गोवाट ।
व्याकरण आदि का सूत्र । प्रतिपाद्य, विषय । लंबअ न [लम्बक] नाभि-पर्यन्त लटकती
पु. लक्ष्मण । सारस पक्षी। °संवच्छर पु
[संवत्सर] वर्ष-विशेष । माला । लंबणा स्त्री [लम्बना] रज्जु, रस्सी ।
लक्खण पु[लक्ष्मण] । देखो लखमण ।
लक्खण न [लक्षण] कारण, हेतु । लंबा स्त्री [दे] वल्लरी, लता । केश ।
लक्खणा स्त्री लक्षणा] शब्द की एक शक्ति, लंबाली स्त्री [दे] पुष्प-विशेष ।
जिससे मुख्य अर्थ के बाध होने पर भिन्न अर्थ लंबिअ । वि [लम्बित] लटकता हुआ ।
को प्रतीति होती है । एक महौषधि । लंबिअय । पु. वानप्रस्थ का एक भेद ।
लक्खणा स्त्री लक्ष्मणा] आठवें जिन देव की लंबुअ वि [लम्बुक] लम्बी लकड़ी के अन्त
माता । उसी जन्म में मुक्ति पानेवाली श्रीकृष्ण भाग में बंधा हुआ मिट्टी का ढेला। भीत में
की पत्नी । एक अमात्य-स्त्री। लगा हुआ ईटों का समूह ।
लक्खणिय वि [लाक्षणिक, लाक्षण्य] लक्षणों लंबुत्तर पुन [लम्बोत्तर] कायोत्सर्ग का एक
का जानकार । लक्षण-युक्त । दोष, चोलपट्टे को नाभि-मंडल से ऊपर रखकर और जानु को चोलपट्ट से नीचे रखकर
लक्खमण | पु [लक्ष्मण] श्रीराम का छोटा कायोत्सर्ग करना।
लखमण ) भाई। बारहवीं शताब्दी का
एक जैन मुनि ग्रंथकार ।। लंबूस पुन [दे.लम्बूष] कन्दुक के आकार का एक आभरण ।
लक्खा स्त्री [लाक्षा] लाख, चवड़ा। रुणिय लंबोदर । वि [लम्बोदर] बड़ा पेटवाला । वि [ रुणित] लाख से रंगा हुआ। लंबोयर ) पु. गणेश ।
लग न [दे] निकट, वास । लंभ सक [लभ प्राप्त करना ।
लगंड [ लगण्ड ] वक्र काष्ठ । °साइ वि लंभ सक [लम्भय] प्राप्त कराना।
[ शायिन्] वक्र काष्ठ की तरह सोनेवाला । लंभ पु[लाभ] प्राप्ति । देखो लाह = लाभ । सण न [सिन] आसन-विशेष । लंभण पु लम्भन] मत्स्य की एक जाति । लगुड देखो लउड़।
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