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________________ ६४० करना, अभय देना । मंस पुंन [मांस] मांस, गोश्त, पिशित । इत्त वि ['वत् ] मांस-लोलुप । 'खल न मांस सुखाने का स्थान | चक्खु पुंन [ 'चक्षुस् ] मांस-मय चक्षु | वि. ज्ञान चक्षु रहित । सण वि[शन]। सि, सिण वि [शिन् ] मांस भक्षक | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष का फूल मगदंतिआ स्त्री [दे. मगदन्तिका ] मेंहदी का गाछ । मेंहदी की पत्ती । मगर पुं [ मकर] देखो मयर | मगरिया स्त्री [मकरिका ] वाद्य-विशेष | मगसिर स्त्रीन [ मृगशिरस् ] नक्षत्र - विशेष । मगह देखो माग | °तित्थ न ['तीर्थ] तीर्थ - विशेष | मंस न [ मांस] फल का गर्भ । मंसल वि [ मांसल ] पोन, पुष्ट, उपचित । मंसी स्त्री [मांसी] जटामांसी । मंसु पुंन [म] दाढ़ी-मूंछ । देख मंस | गन्ध - द्रव्य - विशेष, मंसुडग न [दे. मांसोन्दुक ] मांस-खण्ड । मंसुल्ल वि [मांसवत्] मांसवाला । मक्कंडे पुं [ मार्कण्डेय ] [ऋषि- विशेष । मक्कड पुं [मर्कट] वानर । मकड़ा । कोड़ा एक छन्द | 'बंध पुं [° बन्ध] नाराच बन्ध । संताण पुं [संतान ] मकड़ा का जाल । मक्कडबंध न [दे] श्रृंखलाकार ग्रीवा-भूषण | मक्कल (अप) देखो मक्कड । मक्कार पुं. [माकार ] 'मा' वर्ण । निषेध-सूचक एक प्राचीन दण्ड-नीति | मक्खण न [ प्रक्षण ] नवनीत । मालिश | मक्खर पुं [ मस्कर ] गति । ज्ञान । बाँस । छिद्रवाला बाँस | मक्खन [माक्षिक] मक्षिका संचित मधु | मक्खि स्त्री [मक्षिका ] मक्खी । Jain Education International मंस - मग्गसिरी मगह पुं. ब. [ मगध ] देश - विशेष । 'वरच्छ [' वराक्ष ] आभरण-विशेष | Tपुर न [ पुर] नगर- विशेष | देखो मयह । मक्कुण देखो मंकुण । मग्गअ मक्कोड पुं [दे] यन्त्र- गुम्फनार्थ राशि । पुंस्त्री. मग्ग चींटा । मक्खसक [क्ष ] चुपड़ना । स्निग्ध द्रव्य से मग्गअ वि [मार्गक] माँगनेवाला | मालिश करना । मगा अ [ दे] पश्चात्, पीछे । मगुंद देखो मउंद = मुकुन्द । मग्ग सक [मार्गय् ] माँगना । खोजना । मग अक [मग्] गमन करना, चलना । मग्ग पुं [मार्ग ] रास्ता । " णु वि [ 'ज्ञ ] मार्ग का जानकार । 'त्थ वि ['स्थ] मार्ग में स्थित । सोलह से ज्यादा वर्ष की उम्रवाला । 'दय वि. मार्ग-दर्शक | विउ वि [वित्] मार्ग का जानकार | 'हवि [घ] मार्गनाशक । णुसार [िानुसारिन्] मार्ग का अनुयायी । मग्ग पुं [ मार्ग ] आकाश । आवश्यक कर्म, सामयिक आदि षट् कर्म । पुं [दे] पश्चात, पीछे । मग्गण पुं [ मार्गण] याचक | बाण | न. अन्वेषण | मार्गणा, विचारणा, पर्यालोचन । मग्गणया स्त्री [मार्गणा] हा ज्ञान, ह मग्गणिरवि [] अनुगमन करने की आदत वाला । मग्गसिर पुं [ मार्गशिर ] मगसिरमास, अग मग अवि [दे] हाथ में बाँधा हुआ । मगण पुं. तीन गुरु अक्षरों की संज्ञा । हन । मगति स्त्री [] मालती का फूल । मोगरा | मग्गसिरी स्त्री [मार्गशिरी] मगसिर मास की For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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