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मंत-मंभीस
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
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°देवया स्त्री [°देवता] मन्त्राधिष्ठायक देव ।। अवस्था । °न्नु वि [°ज्ञ] मन्त्र का जानकार । °वाइ मंद पुं [मन्द] शनिश्चर ग्रह । हाथी की एक वि [°वादिन्] मान्त्रिक । °सिद्ध वि. सब जाति । वि. अलस, धीमा, मृदु । अल्प, मूर्ख । मन्त्र जिसके स्वाधीन हों। बहु-मन्त्र । प्रधान : नीच, खल । रोगी। °उण्णिया स्त्री मन्त्रवाला।
[°पुण्यिका] देवी-विशेष । भग्ग वि[ भाग्य], मंत वि [मान्त्र] मन्त्र-सम्बन्धी, मान्त्रिक । __°भाअ वि [ भाग °भाग्य], भाइ वि मंतक्ख न [दे] लज्जा । दुःख । अपराध ।। [ भागिन्]कमनसीब । °भाग देखो °भाअ । मंतर देखो वंतर।
मंद न [मान्द्य ] रोग । बेवकूफी । मंता अ [मत्वा] जानकर ।
मंदक्ख न [मन्दाक्ष] लज्जा । मंति पुं [मन्त्रिन्] मन्त्री, अमात्य, दीवान । मंदग न [मन्दक] एक प्रकार का गान । वि. मन्त्रों का जानकार ।
मंदर पुं [मन्दर] मेरु पर्वत । भगवान् विमलमंति पुं [दे] विवाह-गणक, जोशी, ज्योतिर्विद् । नाथ का प्रथम गणधर । वानरद्वीप का राजा । मंतिअ वि [मान्त्रिक मन्त्र का ज्ञाता । मरुयकुमार का पुत्र । छन्द-भेद । मन्दरमंतिण देखो मंति = मन्त्रिन् ।
पर्वत का अधिष्ठायक देव । “पुर न. नगरमंतु वि [मन्तु ज्ञाता। पंजीव, प्राणी। विशेष । मंतु देखो मण्णु । °म वि [°मत्] क्रोधी । मंदा स्त्री [मन्दा] मन्द-स्त्री। मनुष्य की दश मंतु पुन [°मन्तु] अपराध ।
अवस्थाओं में तीसरी अवस्था । मंतुआ स्त्री [दे] लज्जा, शरम ।
मंदाइणी स्त्री [मन्दाकिनी] गंगा नदी । मंतेल्लि स्त्री [दे] मैना ।
रामचन्द्र के पुत्र लद की स्त्री। मंथ सक [मन्थ] विलोडन करना। मारना, मंदाय क्रिवि [मन्द] धीमे से । हिंसा करना । अक. क्लेश पाना। घर्षण मंदाय न [मन्दाय] गेय-विशेष । करना।
मंदार पुं [मन्दार] एक कल्पवृक्ष । पारिभद्र मंथ पुं [मन्थ] दही विलोने की मथनी। वृक्ष । न. एक फूल । केवलि-समुद्धात के समय मन्थाकार किया
मंदिअ वि [मान्दिक] मन्दता वाला, मन्द । जाता जीव-प्रदेश-समूह ।
मंदिर न [मन्दिर] गृह । नगर-विशेष । मंथ (अप) देखो मत्थ = मस्त ।
मंदिर वि [मान्दिर] मन्दिर-नगर का । मंथणिआ। स्त्री [ मन्थनिका ] मंथनी । ।
मंदीर न [दे] सांकल । मन्थान-दण्ड । मंथणी , दही महने की इंडिया । स्त्री मदुय पुं [दे. मन्दुक] जलजन्तु-विशेष । [मन्थनी] ।
| मंदुरा स्त्री [मन्दुरा] अश्व-शाला । मंथर वि [मन्थर] मन्द । पुं. मन्थन-दण्ड ।
| मंदोदरी । स्त्री [मन्दोदरी] रावण-पत्नी । मंथर वि [दे. मन्थर] वक्र । स्त्रीन. कुसुम्भ
मंदोयरी , एक वणिक् पत्नी । या कुसुम का पेड़।
मंदोशण (मा)। वि [मन्दोष्ण] अल्प गरम । मंथर वि [दे] बहु, प्रचुर, प्रभूत । मंधाउ पुं [मान्धातृ] हरिवंश का एक राजा । मंथाण पुं [मन्थान] विलोडन-दण्ड । मंधादण पुं [मन्धादन] मेष, गाडर । मंथु पुन [दे] बदरादि-चूर्ण । चूर, बुकनी । मंधाय पुं [दे] श्रीमन्त ।। दूध के मट्ठा और माखन के बीच की । मंभीस (अप) सक [मा+भी] डरने का निषेध
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