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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष बहल-बहुआरी बहल न [दे] पंक। सुरा स्त्री. पंकवाली , बहुत । 'नड पुं ['नट] नट की तरह अनेक मदिरा।
भेष धारण करनेवाला । °पडिपुण्ण वि बहल वि [बहल] निरन्तर, गाढ । स्थूल [°परिपूर्ण] पूरा-पूरा। पढिय वि मोटा । पुष्कल, अत्यन्त ।
[°पठित] अतिशय शिक्षित । पलावि वि बहलिम पुंस्त्री [बहलता] स्थूलता, मोटाई । [प्रला पन्] बकवादी। पुत्तिअ न सातत्य ।
[पुत्रिक] बहुपुत्रिका देवी का सिंहासन । बहली स्त्री. भारतवर्ष का एक उत्तरीय देश । पुत्तिआ स्त्री ["पुत्रिका] पूर्णभद्र नामक बहली देश की स्त्री।
यक्षेन्द्र की अग्र-महिषी । सौधर्म देवलोक की बहलीय वि [बहलीक] बहली-निवासी । देवी । 'प्पएस वि [°प्रदेश] प्रचुर प्रदेशबहव देखो बहु।
कर्म दल वाला। °फोड वि [°स्फोट] बहुबहस्सइ पुं [बृहस्पति] ज्योतिष्क देव-विशेष, भक्षक । भंगिय न [°भङ्गिक] दृष्टिवाद एक महाग्रह । देव-गुरु । पुष्य नक्षत्र का का सूत्र-विशेष । °मय वि [°मत्] अत्यन्त अधिष्ठाता देव । राजनीति-प्रणेता एक अभीष्ट । अनुमोदित, संमत । °माइ वि ऋषि । नास्तिक मत का प्रवर्तक । एक [ मायिन्] अति कपटी । °माण पुं ['मान] पुरोहित-पुत्र । विपासूत्र का अध्ययन । अतिशय आदर । 'माय वि [°माय] अति °दत्त पुं. देखो अंत के दो अर्थ ।
कपटी। °मुल्ल, °मोल्ल वि [ मूल्य] बहि अ [बहिस् ] बाहर । "हुत्त वि [ दे] मूल्यवान् । 'रय वि ['रत] अत्यन्त बहिर्मुख ।
आसक्त । जमालि का अनुयायी । न. जमालि बहिअ वि [दे] विलोडित ।
का चलाया हुआ मत-क्रिया की निष्पत्ति बहिं देखो बहि।
अनेक समयों में ही माननेवाला मत । प्रय बहिणिआ । स्त्री [भगिनी] बहिन । न [ °रजस् ] चिउड़ा की तरह का एक बहिणी ) सखी । 'तणअ पुं [°तनय]
प्रकार का खाद्य । °रव वि. यशस्वी । न. भगिनीपुत्र । °वइ पुं [°पति] बहनोई ।
विद्याधर-नगर । °रूवा स्त्री [°रूपा] सुरूप बहित्ता अ [बहिस्तात् ] बाहर ।
नामक भूतेन्द्र की अग्रमहिषी। °लेव पुं बहिद्धा अ [दे] बाहर । मैथुन ।
["लेप] चावल आदि के चिकने माँड़ का बहिद्धा अ [बहिर्धा] बाहर की तरफ ।
लेप । °वयण न [°वचन] बहुत्व-बोधक बहिया अ [बहिस् , बहिस्तात्] बाहर ।
प्रत्यय । विह वि [विध] नानाविध । बहिर वि [बाह्य] बहिर्भूत, बाहर का। विहिय वि [विधिक] अनेक तरह का। बहिर वि [बधिर] बहरा।
°संपत्त वि [°संप्राप्त] कुछ कम संप्राप्त । बहु वि [बह]प्रचुर, अनेक । स्त्री. 'ई । क्रिवि. । °सच्च पुं [°सत्य] अहोरात्र का दशवाँ अत्यन्त, अतिशय । 'उदग पुं [°उदक] मुहूर्त । °सो अ ['शस् ] अनेक बार । वानप्रस्थ का एक भेद । °चूड पुं. विद्याधर
°स्सुय वि [ श्रुत] शास्त्रज्ञ, पण्डित । वंश का राजा । जंपिर वि [°जल्पित] °हा अ [°धा] अनेकधा । वाचाट । °जण पुं [°जन] अनेक लोग । न. बहुअ वि [बहु, °क] ऊपर देखो। आलोचना का प्रकार । 'णाय न [°नाद] बहुआरिआ। स्त्री (दे] बुहारी, झाड़ । नगर-विशेष । 'देसिअ वि [देश्य] थोड़ा | बहुआरी ।
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