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बंभंड-बत्तीसइम
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
६०९
'दीविया
बंभि°
स्त्री [ब्राह्मी]
ऋषभदेव की
शाखा |
बंभी पुत्री । लिपि-विशेष । कल्प विशेष । सरस्वती देवी |
'भूइ पुं
यारि
बंभुत्तर पुं [ब्रह्मोत्तर ] देव- विमान । 'वर्डसकन[वतंसक ] देव - विमान ।
|
दीव पुं [द्वीप ] द्वीप - विशेष । स्त्री [°द्वीपिका ] जैन मुनि गण की "पभ न [प्रभ] देव-विमान । [ भूति] द्वितीय वासुदेव का पिता । देखो 'चारि । रुइ पुं [रुचि] एक ब्राह्मण, नारद का पिता । ° लेस न [°लेश्य] देवविमान | लोअ, लोग पुं [ लोक] पाँचवाँ देवलोक । 'लोगवडिसय न [ लोकावतंसक ] देव-विमान । "व, "वंत वि [वत् ] ब्रह्मचर्य - वाला । ' वडिसय पुं [वतंसक ] सिद्ध- | शिला । 'वण्ण न [' वर्ण] देव विमान । 'वय | न [व्रत] ब्रह्मचर्य । "वि वि [वित्] ब्रह्म ज्ञानी ।' व्वय देखो 'वय "संति पुं ['शान्ति] भगवान् महावीर का शास्न-यक्ष । 'सिंग न [शृङ्ग]देव विमान | °सिट्ठ न [° सृष्ट] देवविमान । "सुत्त न [ सूत्र] यज्ञोपवीत । हिअ पुं [हित] एक विमानावास, देवविमान | वित्त न [वर्त] देव- विमान । देखो बंभाण, बम्ह |
भंड न [ब्रह्माण्ड ] जगत्, संसार ।
'भण पुं [ब्राह्मण] |
भणि जन्तु - विशेष ।
भणिआ
स्त्री [ब्राह्मणिका ] पञ्चेन्द्रिय
स्त्री [दे. ब्राह्मणिका ] कीटविशेष |
बंभणी
बंभण्ण
स्त्री [ब्रह्मण्य, ब्राह्मण्य, क] भण्णय ब्राह्मण का हित । ब्राह्मणसम्बन्धी । न. ब्राह्मण-समूह । ब्राह्मण-धर्म | बंभद्दीविग वि [ ब्रह्मद्वीपिक] ब्रह्मदीपिका
शाखा में उत्पन्न |
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बंहि पुं [ बर्हिन्] मयूर | बहिण (अप) ऊपर देखो ।
बक देखो बय ।
बक्कर न [ दे. बर्कर ] परिहास | बक्स न [ दे] अन्न विशेष । बग देखो बय | बगदादि पुं [ बगदादि ] बगदाद देश । बग्गड पुं [दे] देश-विशेष |
बज्झवि [बाह्य ] बाहर का बहिरङ्ग । बज्झ न [बन्ध] बन्धन, बाँधने का साधन । बज्झ वि [बद्ध ] बन्धनाकार व्यवस्थित | बँधा हुआ ।
बठर पुं. मूर्ख छात्र ।
बड (अप) वि [ दे] बड़ा, महान् । ases to [वि + प्] विलाप करना, बड़
बड़ाना |
हिला स्त्री [] धुरा के मूल में दी जाती कील, कीलक - विशेष ।
बसि देखो बलिस ।
बडु
बडुअ
बड्डुवास [दे] देखो वड्डुवास । बतीस (अप) स्त्रीन [द्वात्रिंशत् ] बत्तीस । बत्तिस जिनकी संख्या बत्तीस हों वे । बत्तीस
पुं [ बटु, क] लड़का, छोकड़ा ।
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भद्दविगा स्त्री [ब्रह्मद्वीपिका ] एक जैन बत्तीसइ° स्त्री . ऊपर देखो । बद्धय न[°बद्धक]
-शाखा ।
बत्तीस प्रकार की रचनाओं से युक्त । बत्तीस
भलिज्जन [ ब्रह्मलीय] जैन मुनि कुल ।
पात्रों से निबद्ध (नाटक) | विह वि [विध ] बत्तीस प्रकार का ।
बंभहर न [दे] कमल ।
बंभाण देखो बंभ | 'गच्छ पुं. एक जैन मुनि बत्तीसइम वि [द्वात्रिंशत्तम ] बत्तीसवाँ । न.
गच्छ ।
पन्द्रह दिनों का लगातार उपवास ।
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