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पोंड-पोट्टिल
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पोंड न [दे] फूल ।
पोक्खलच्छिलय , देखो पुक्खलच्छिभय । पोंड देखो पुंड । "वद्धण न [°वर्धन] नगर- | पोक्खलच्छिल्लय । विशेष । 'बद्धणिया स्त्री [वर्धनिका] जैन | पोक्खलि पुन [पुष्कलिन्] एक जैन उपासक, मुनि-गण की एक शाखा ।
जिसका दूसरा नाम शतक था। पोंड पुं (दे] यूथ का अधिपति । फल । अविक- | पोग्गर ) पुन [पुद्गल] रूपादि-विशिष्ट सित कमल । कपास का सता।
पोग्गल । द्रव्य, मूर्त द्रव्य, रूपवाला पदार्थ । पोंडरिगिणी देखो पुंडरिगिणी।
न. मांस। त्थिआय पुं [°ास्तिकाय] पोंडरिय देखो पुंडरीअ = पुण्डरीक । पुद्गल-स्कन्ध, पुद्गल-राशि । परट्ट, पोंडरो स्त्री [पौण्ड्री, पुण्डरीका] जम्बूद्वीप के परियट्ट पुं[°परिवर्त] समस्त पुद्गल-द्रव्यों
मेरु के उत्तर रुचक की एक दिक्कुमारी। के साथ एक-एक परमाणु का संयोग-वियोग । पोंडरीअ देखो पुंडरीअ = पुण्डरीक । समय का उत्कृष्टतम परिमाण-विशेष, अनन्त पोंडरीअ ) न [पौण्डरीक] रज्जु-गणित । कालचक्र-परिमित समय । पोंडरीग । देखो पुंडरीअ = पौण्डरीक । | पोग्गलिय वि [पौद्गलिक] पुद्गल-मय, पोक्क सक [ व्या + हृ, पूत + कृ ] पुकारना, । पुद्गल-सम्बन्धी, पुद्गल का।। आह्वान करना।
पोच्च वि [दे] सुकुमार, कोमल । पोक्क वि [दे] आगे स्थूल और उन्नत तथा बीच | पोच्चड वि [दे] निस्सार । अतिनिबिड । में निम्न (नासिका)।
मलिन । पोक्कण पुं [पोक्कण] अनार्य देश, उसमें बसने- | पोच्छल अक [प्रोत् + शल्] उछलना, ऊँचा वाली म्लेच्छ जाति ।
जाना। पोक्कर देखो पुक्कर।
पोच्छाहण न [प्रं त्साहन] उत्तेजन । पोक्कार देखो पुक्कार - पूत्कार ।
पोच्छाहिअ वि [प्रोत्साहित] उत्तेजित । पोक्खर न [पुष्कर] जल । पद्म । पद्म-कोष । | पोट्ट पुं [पुत्र] लड़का। अजमेर नगर के पास का जलाशय-तीर्थ । | पोट्ट न [दे] पेट : ‘साल पुं [°शाल] एक हाथी की सढ का अग्र-भाग। वाद्य-भाण्ड । परिव्राजक । सारणी स्त्री. अतीसार रोग । दूकान । तलवार की म्यान । मुख । कुष्ठ रोग | पोट्ट न [दे] पोटला, गठरी । की ओषधि । द्वीप-विशेष । युद्ध । बाण । | पोट्टल । आकाश । पं. नाग-विशेष । रोग-विशेष । | पोट्टलिगा स्त्री [द] पोटली, गठरी । सारस पक्षी। एक राजा । पर्वत-विशेष । | पोलिय वि [दे] गठरी-वाहक । वरुण-पुत्र । देखो पुक्खर ।
| पोट्टलिया [दे] देखो पोट्टलिगा। पोक्खर वि [पौष्कर] पुष्कर-सम्बन्धी । | पोट्टि स्त्री [दे] उदर-पेशी। पद्माकार रचनावाला ।
पोट्टिल पुं [पोट्टि ल] भारतवर्ष का भावी पोक्खरिणी स्त्री [ पुष्करिणी] जलाशय- नौवाँ तीर्थंकर । भारतवर्ष के चौथे भावी विशेष, वर्तुल वापी। कमलिनी। पद्म- जिन-देव का पूर्वभवीय नाम । भगवान् महासमूह । पुष्कर-मूल । चौकोना जलाशय, वीर का व्युत्क्रम से छठवें भव का नाम । पोखरी।
जैन मुनि, जिसने भगवान् महावीर के समय पोक्खल देखो पुक्खल।
__ में तीर्थकर-नाम-कर्म बंधा था। जैन मुनि ।
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