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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पेल्लव-पोंगिल्ल पेल्लव । देखो पेर।
| पेहा स्त्री [प्रेक्षण] निरीक्षण । कायोत्सर्ग का पेल्लाव ।
एक दोष, कायोत्सर्ग में बन्दर की तरह ओष्ठपेव्वे अ. आमन्त्रण सूचक अव्यय ।
पुट को हिलाते रहना । पर्यालोचन, चिन्तन । पेस सक [प्र+ एषय] भेजना, पठाना ।
बुद्धि । पेस देखो पीस ।
पेहण न [दे] पिच्छ । मयूर-पिच्छ । देखो पेस पुंस्त्री [ प्रेष्य ] कर्मकर । वि. भेजने- पिहण । योग्य ।
पोअ सक [प्र + वे] पिरोना, गूंथना। पेस पुं [दे. पेश] सिन्ध देश में होनेवाली एक | पोअ वि [प्रोत] पिराया हुआ । पशु-जाति ।
पोअ पुं [पोत] जहाज, नौका । शिशु । न. पेस वि [दे. पैश] पेश नामक जानवर के चमड़े वस्त्र । का बना हुआ (वस्त्र)।
पोअ पुं दे] धव-वृक्ष । छोटा साँप । पेसण न [दे] कार्य, प्रयोजन ।
पोअइया स्त्री [दे] निद्राकारी लता। पेसण न [प्रेषण] पठाना, भेजना । नियोजन, | पोअंड वि [दे] भय-रहित । नामर्द । व्यापारण । आज्ञा, आदेश ।
पोअंत पुं [दे] शपथ। पेसणआरो । स्त्री [दे] दूती ।
पोअण न [प्रवयन, प्रोतन] पिरोना, गथना । पेसणआली.
पोअणपुर न [पोतनपुर] नगर-विशेष । पेसणा स्त्री [पेषण] पीसना, पेषण । पोअणा स्त्री [प्रवयना, प्रोतना] पिरोना । पेसल वि [पेशल] सुन्दर, मधुर, कोमल। पोअय वि [पोतज] पोत से उत्पन्न होनेवाला पेसल न [दे] सिन्ध देश के पेश नामक प्राणी-हस्ती आदि । पेसलेस पशु के चर्म के सक्षम पक्ष्म से निष्पन्न | पोअलय पुं दि] आश्विन मास का एक उत्सव, वस्त्र।
खाद्य-विशेष, पूआ । बाल वसन्त । पेसव सक [प्र + एषय् ] भेजवाना। | पोआई स्त्री [पोताकी] शकुनि को उत्पन्न पेसविअ वि [प्रेषित] भेजवाया, प्रस्थापित । |
___ करनेवाली विद्या । पक्षि-विशेष । पेसाय वि [पैशाच] पिशाच-सम्बन्धी ।
पोआउय वि [पोतायुज] देखो पोअय । पेसि स्त्री [पेशि] देखो पेसी ।
पोआय पुंदे] गाँव का मुखिया । पेसिआ स्त्री (पेशिका] खण्ड, टुकड़ा।
पोआल [दे] बलीवर्द ।। पेसिआर पुं [प्रेषितकार] नौकर ।
पोआल [दे. पोतक] बच्चा, शिशु । पेसिदवंत (शौ) वि [प्रेषितवत्] जिसने भेजा पोइअ ' [दे] हलवाई। खद्योत । निमग्न । हो वह।
स्पन्दित । पेसी स्त्री पेशी] मांस-पिण्ड । देखो पेसिआ। पोइअ वि [प्रोत] पिरोया हुआ। पेसुण्ण न [पैशुन्य] चुगली ।
। पोइअल्लय देखो पोइअ = प्रोत । पेस्सिदवंत देखो पेसिदवंत ।
पोइआ। स्त्री [दे] निद्राकारी लता, वल्लीपेह सक [प्र+ ईक्ष् ] निरीक्षण करना, ध्यान- | पोई विशेष । पूर्वक देखना । चिन्तन करना ।
पोउआ स्त्री [दे] सूखे गोबर की अग्नि । पेह सक [प्र+ईह ] इच्छा करना, चाहना । पोंग पुं [दे] पाक, पकना । प्रार्थना करना।
| पोंगिल्ल वि [दे] परिपक्व, परिपाक-युक्त ।
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