________________
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
पूव-पेच्छय पूर्व । देखो पूअल।
पेइअ वि [पैतृक] पिता से आया हुआ। न. पूवल ।
पीहर । पूवलिआ , देखो पूअलिया।
पेईहर न [पितृगृह, पैतृकगृह] पीहर । पूविगा ।
पेऊस न [पीयूष] अमृत । °ासण पुं [शन] पूस अक [पुष्] पुष्ट होना।
देव। पुस देखो पस्स = पृष्य । गिरि पं. जैन मनि । पेंखिअ वि [प्रेखित] कम्पित । 'फली स्त्री. वल्ली विशेष । 'माण, °माणग
पेंखोल अक [प्रेजोलय] झूलना, हिलना । पुं [°माण, मानवमङ्गल-पाठक । माणग पुं
पेंड देखो पिंड = पिण्ड । ['मानक] ज्योतिर्देवता, ग्रहाधिष्ठायक देव ।
पेंड न [दे] खण्ड टुकड़ा । वलय । °माणय देखो °माण । °मित्त पुं [मित्र] |
पेंडधव पुं [दे] खड्ग, तलवार । जैन मुनि-त्रय-घृतपुष्यमित्र, वस्त्रपुष्यमित्र,
पेंडबाल वि (दे] देखो पेंडलिअ । दुर्बलिकापुष्यमित्र, आर्य रक्षितसूरि के
पेंडय पुंदे] तरुण । नपुंसक । शिष्य । एक राजा । मित्तिय न [मित्रीय] पडल पुंदे] रस । जैन मुनि-कुल।
पेंडलिअ वि [दे] पिण्डीकृत । पूस पुं [दे] राजा सातवाहन । तोता।
पेंडव सक [प्र + स्थापय्] रखना। प्रस्थान पूस पुं [पूषन्] सूर्य । मणि-विशेष ।
कराना। पूसा स्त्री [पुष्या] कुण्ड-कोलिक की पत्नी ।
पेंडार पुं [दे] ग्वाला । महिषी-पाल । पूसाण देखो पूस = पूषन् ।
पेंडोली स्त्री [दे] क्रीड़ा। 'पूह पुं [अपोह] मीमांसा । देखो अपोह ।
पेंढा स्त्री [दे] पंकवाली मदिरा । पृथुम (पै) देखो पढम।
पेंत देखो पा = पा का वकृ. । पेअ पुं [प्रेत] व्यन्तर देव-जाति । मृतक ।
पेक्ख सक [प्र + ईक्ष्] देखना, अवलोकन कम्म न [°कर्मन्] अन्त्येष्टि क्रिया।
करना। °करणिज न [°करणीय] अन्त्येष्टि क्रिया।
पेक्खअ , वि [प्रेक्षक] देखनेवाला, निरीक्षक, काइय वि [°कायिक] प्रेत-योनि में उत्पन्न,
| पेक्खग । द्रष्टा। व्यन्तर-विशेष । "देवयकाइय वि [ देवता
पेक्खणग । न [प्रेक्षणक] खेल, तमाशा, कायिक] प्रेत-देवता का । °नाह पुं [°नाथ]
पेक्खणय , नाटक । यमराज । भूमि, भूमी स्त्री. श्मशान । पेखिल (अप) वि [प्रेक्षित] दृष्ट । °लोय पुं [°लोक] श्मशान । 'वइ [°पति] पेच्च } अ [प्रेत्य] परलोक, आगामी जन्म । यम । °वण न ['वन] श्मशान । हिव पेच्चा भव पुं. आगामी जन्म, परलोक । पुं[धिप] जमराज ।
। भाविअ वि [ भाविक] जन्मान्तरपेअ वि [प्रेयस) अतिशय प्रिय ।
सम्बन्धी । पेआ स्त्री [पेया] यवागू, पीने की वस्तु। पेच्चा देखो पिअ = पा का संकृ । पेआल न [दे] प्रमाण । विचार । सार, पेच्छ सक [दृश, प्र+ ईक्ष्] देखना । रहस्य । प्रधान ।
पेच्छ वि [प्रेक्ष] द्रष्टा, दर्शक । पेआलणा स्त्री [दे] प्रमाण-करण ।
पेच्छ देखो पेक्ख। पेआलुय वि [दे] विचारित ।
पेच्छय वि [दे] जो देखे उसी को चाहनेवाला।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org