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५६० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
पल्लल-पवट्ट पल्लल न [पल्वल] छोटा तलाव । | पल्हाय पुं [प्रह्लाद] आनन्द, खुशी। हिरण्यपल्लव पुं. अंकुर । पत्र, पत्ता । देश-विशेष । कशिपु नामक दैत्य का पुत्र । आठवां प्रतिविस्तार ।
वासुदेव राजा । एक विद्याधर नरेश । पल्लव देखो पज्जव।
पल्हायण न [प्रह्लादन] चित्त-प्रसन्नता, पल्लवाय न [दे] क्षेत्र, खेत ।
खुशी । वि. आनन्ददायक । पुं. रावण का एक पल्लविअ वि [दे] लाक्षा-रक्त ।
सुभट। पल्लविअ वि [पल्लवित] पल्लवाकार । | पल्हीय पुं.ब. [प्रह लीक] देश-विशेष । अंकुरित, प्रादुभूत, उत्पन्न । पल्लव-युक्त ।।
पव सक [पा] पीना। पल्लविल्ल वि [पल्लववत्] पल्लव-युक्त ।।
पव अक [प्लु] फरकना। सक. उछल कर पल्लस्स देखो पलोट्ट = परि + अस् ।
जाना । तैरना। पल्लाण न [पर्याण] अश्व आदि का साज ।। पव पुं [प्लव]पूर । उच्छलन, कूदना । तैरना । पल्लाण सक [पर्याणय] अश्व आदि को | मेढ़क । वानर । चाण्डाल, डोम । जल-काक । सजाना।
पाकुड़ का पेड़ । कारण्डव पक्षी । शब्द, पल्लि स्त्री. छोटा गांव । चोरों के निवास का आवाज । दुश्मन । मेंढा । जल-कुक्कुट । गहन स्थान । 'नाह पुं [°नाथ] पल्ली का जल । जलचर पक्षी । नौका । स्वामी । °वइ पुं [पति] वही अर्थ ।। पव स्त्रीन [प्रपा] पानीयशाला, प्याऊ । पल्लिअ वि [दे] आक्रान्त । ग्रस्त । प्रेरित । | पवंग पुं [प्लवङ्ग] वानर । वानर-वंशीय पल्लित्त वि [दे] पर्यस्त ।
मनुष्य । °नाह पुं [°नाथ] वानर-वंशीय पल्ली देखो पल्लि।
राजा, बाली । 'वइ पु [°पति] वानरराज। पल्लीण वि [प्रलीन विशेष लीन । पवंगम पुं [प्लवंगम] वानर । छन्द-विशेष । पल्लोट्टजीह [दे] देखो पलोट्टजीह । पवंच पुं [प्रपञ्च] विस्तार । संसार । ठगाई । पल्हत्थ देखो पलोट्ट = परि + अस् । पवंचा स्त्री [प्रपञ्चा] मनुष्य की दश दशाओं पल्हत्थ सक [ वि + रेचय ] बाहर निका- में सातवीं दशा-६० से ७० वर्ष की लना।
अवस्था। पल्हत्थ देखो पलोट्ट = पर्यस्त।
पवंछ सक [प्र+वाच्छ] वाञ्छना। पल्हत्थरण देखो पच्चत्थरण ।
पवंपुल पुंन [दे] मच्छी पकड़ने का जाल । पल्हत्थिया स्त्री [पर्यस्तिका] आसन-विशेष- पवक वि [प्लवक] उछल-कूद करनेवाला । दोनों जानु खड़ा कर पीठ के साथ चादर __ तैरनेवाला । पुं. पक्षी । सुपर्णकुमार नामक लपेटकर बैठना । जंघा पर वस्त्र लपेटकर देव-जाति । बैठना। पट्ट पुं. योग-पट्ट ।।
पवक्खमाण पवय =प्र+ वच् का वकृ. । पल्हय । पुं [पह लव] अनार्य देश । पुंस्त्री. | पवग देखो पवक। पल्हव । पह्लव देश का निवासी। पवज्ज सक [प्र+पद्] स्वीकार करना । पल्हवि पुंस्त्री. [ दे. पह्रवि ] हाथी की पीठ | पवज्जा देखो पव्वज्जा।
पर बिछाया जाता एक तरह का कपड़ा। पवज्जिय वि [प्रवादित] जो बजने लगा हो । पल्हाय सक [प्र + ह्लाद्] आनन्दित करना, पवट्ट अक [प+वृत्] प्रवृत्ति करना । खुशी करना।
पवट्ट वि [प्रवृत्त] जिसने प्रवृत्ति की हो वह ।
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