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पयंचुल-पयर संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
५३७ पदक, पदग। °वीहिया स्त्री [वीथिका] | पयडीकर सक [प्रकटी + कृ] प्रकट करना। शलभ का उड़ना। भिक्षा के लिए पतंग की | पयडीभूअ । वि [प्रकटीभूत] जो प्रकट तरह चलना, बीच में दो चार घरों को छोड़ते | पयडीहअ , हुआ हो । हुए भिक्षा लेना । °वीही स्त्री [°वीथी] | पयड्ढणी स्त्री [दे] प्रतीहारी। आकर्षण । वही पूर्वोक्त अर्थ ।
महिषी। पयंचुल पुन [प्रपञ्चुल] मत्स्यबन्धन-विशेष, | पयण देखो पवण ।
मछली पकड़ने का एक प्रकार का जाल ।। पयण देखो पडण। पयंड वि [प्रचण्ड] अत्युग्र, तीव्र, प्रखर । | पयण । न [पचन, °क] पाक, पकाना । भयानक, भयंकर।
पयणग , पकाने का पात्र । साला स्त्री पयंड वि [प्रकाण्ड] अत्युग्र, उत्कट । [°शाला] एक-स्थान । पयंप अक [प्र + कम्प्] अतिशय कांपना। | पयणु । वि [प्रतनु] कृश । सूक्ष्म । अल्प । पयंप सक [प्र + जल्प] कहना, बोलना । | पयणुअ बकवाद करना।
पयण्णय देखो पइण्णग। पयंस सक [प्र + दर्शय] दिखलाना । पयत्त अक [प्र + यत्] प्रयत्न करना । पयक्क देखो पाइक्क ।
पयत्त देखो पयट्ट = प्र+वृत । पयक्ख सक [प्रत्या+ख्या] प्रत्याख्यान पयत्त पुं प्रयत्न] चेष्टा, उद्यम, उद्योग । करना, प्रतिज्ञा करना।
पयत्त वि [प्रदत्त, प्रत्त] दिया हुआ । अनुज्ञात, पयक्खिण देखो पदक्खिण ।
सम्मत । पयक्खिणा देखो पदक्खिणा।
पयत्त देखो पयट्ट = प्रवृत्त । पयग देखो पयय = पतग, पदक, पदग । पयत्ताविअ वि [प्रवत्तित] प्रवृत्त किया हुआ। पयच्छ सक [प्र + यम्] देना, अर्पण करना । | पयत्थ पं [पदार्थ] शब्द का प्रतिपाद्य, पद का पयट्ट अक [प्र + वृत्] प्रवृत्ति करना । अर्थ । तत्त्व । वस्तु, चीज । पयट्ट वि [प्रवृत्त] जिसने प्रवृत्ति की हो वह । | पयन्न देखो पइण्ण = प्रकीर्ण । चलित ।
पयन्ना देखो पइण्णा। पयट्टय वि [प्रवर्तक] प्रवृत्ति करनेवाला । पयप्पण न [प्रकल्पन] कल्पना, विचार । पयट्टावअ वि [प्रवर्तक] प्रवृत्ति कराने- | पयय देखो पायय = प्राकृत । वाला।
पयय वि [प्रयत] प्रयत्न-शील । पयट्टाविअ वि [प्रवत्तित] प्रवृत्त किया हुआ। | पयय पुं [पतग, पदक, पदग] वानव्यन्तर पयट्टिअ वि [दे] किसी कार्य में लगाया हुआ। देवों की एक जाति । पतग देवों का दक्षिण पयट्ठाण देखो पइट्ठाण ।
दिशा का इन्द्र । 'वइ पुं [ पति] पतग देवों पयड सक [प्र + कटय] प्रकट करना, व्यक्त का उत्तर दिशा का इन्द्र । करना । विख्यात होना ।
पयय न [दे] अनिश, निरन्तर । पयडि देखो पगइ।
पयर सक [स्मृ] स्मरण करना । पयडि स्त्री [दे] मार्ग।
पयर अक [प्र + चर्] प्रचार होना। फैलना पयडिय वि [प्रपतित] गिरा हुआ।
व्याप्त होना, काम में लगना । पयडीकय वि [प्रकटीकृत] प्रकट किया हुआ । ' पयर पुं [प्रकर] समूह, सार्थ, जत्था ।
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