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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
पत्ती-पत्थिद पत्ती स्त्री [दे] देखो पत्तपसाइआ। पत्थड वि [प्रस्तृत]बिछाया हुआ, फैला हुआ । पत्ती स्त्री [पत्नी] भार्या ।
पत्थणया । स्त्री [प्रार्थना ] वाञ्छा। पत्ती स्त्री [पात्री] भाजन ।
पत्थणा याचना । विज्ञप्ति, निवेदन । पत्तुं पाव = प्र + आप का हेकृ. ।
पत्थय वि [प्रार्थक] अभिलाषा करनेवाला । पत्तवगद (शौ) वि [प्रत्यपगत] सामने गया पत्थयण न[पथ्यदन] शम्बल, पाथेय, कलेवा। हुआ। वापस गया हुआ।
पत्थर सक [प्र+ स्तु] बिछाना । फैलाना । पत्तेअ ) न [प्रत्येक हर एक । एक के | पत्थर पुं [प्रस्तर] पत्थर । पत्तेग ) सामने । न. कर्म-विशेष, जिसके पत्थर न [दे] पाद-ताडन, लात । उदय से एक जीव का एक अलग शरीर पत्थर देखो पत्थार। होता है । पृथक-पृथक् । पुं. वह जीव जिसका पत्थरण न [प्रस्तरण] बिछौना । शरीर अलग हो । °णाम न [नामन्] देखो | पत्थरभल्लिअ न [दे] कोलाहल करना । ऊपर का तीसरा अर्थ । निगोयय पं |
पत्थरा स्त्री [दे] चरण-घात, लात । [ °निगोदक ] जीव-विशेष । °बद्ध पं. पत्थरिअ [दे] पल्लव, कोपल । अनित्यतादि भावना के कारणभूत किसी एक |
पत्थव देखो पत्थाव। वस्तु से परमार्थ का ज्ञान जिसको उत्पन्न हआ | पत्था अक [प्र + स्था] प्रस्थान करना, प्रवास हो ऐसा जैन मुनि । "बुद्धसिद्ध पुं. प्रत्येकबुद्ध | करना। होकर मुक्ति को प्राप्त जीव । °रस वि. | पत्थार पुं [प्रस्तार] विस्तार । तृणवन । विभिन्न रसवाला। सरीर वि ['शरीर] पल्लवादि-निर्मित शय्या । पिंगल-प्रसिद्ध विभिन्न शरीरवाला । न. कर्म-विशेष, जिसके प्रक्रिया-विशेष । प्रायश्चित्त को रचना-विशेष । उदय से एक जीव का एक विभिः शरीर | विनाश । होता है । °सरीरनाम न [°शरीरनामन्] | पत्थारी स्त्री [दे] समूह । शय्या । वही पूर्वोक्त अर्थ ।
पत्थाव सक [
प्रस्तावय् ] प्रारम्भ करना । पत्तेय वि [प्रत्येक] बाह्य कारण । पत्थाव पुं [प्रस्ताव ] अवसर । प्रसंग, पत्थ सक [प्र + अर्थय् ] प्रार्थना करना । प्रकरण । अभिलाषा करना । रोकना ।
पत्थिअ वि [प्रस्थित] जिसने प्रयाण किया हो पत्थ पुं [पार्थ] मध्यम पाण्डव अर्जुन । पाञ्चाल वह । न. प्रस्थान, गति, चाल । देश के एक राजा का नाम । भद्दिलपुर नगर | पत्थिअ वि [प्रार्थित] जिसके पास प्रार्थना की का एक राजा।
गई हो वह । जिस चीज की प्रार्थना की गई पत्थ पुं [प्रार्थ] प्रार्थन, प्रार्थना । दो दिनों हो वह । का उपवास ।
पत्थिअ वि [दे] शीघ्र, जल्दी करनेवाला । पत्थ देखो पच्छ = पथ्य ।
पत्थिअ वि [प्रार्थिक] प्रार्थी । पत्थ पुं [प्रस्थ] कुडव का एक परिमाण ।
पत्थिअ वि [प्रास्थित] प्रकृष्ट श्रद्धावाला । सेतिका, एक कुडव का परिमाण । पत्थिअ° । स्त्री [दे] बाँस का बना हुआ पत्थग देखो पत्थय।
पत्थिआ , भाजन-विशेष । पिडग, पिडय पत्थड पुं [प्रस्तर] रचना-विशेषवाला समूह । न [°पिटक] वही अर्थ ।। भवनों के बीच का अन्तगल भाग। पत्थिद देखो पत्थिअ = प्रस्थित, प्रार्थित ।
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