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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पडिसंध-पडिसिलोग पडिसंध , सक [प्रतिसं +धा] आदर , में शाप देना । पडिसंधा करना । स्वीकार करना। पडिसव सक [ प्रति+श्रु] प्रतिज्ञा करना। पडिसंमुह न [प्रतिसम्मख] सम्मुख । स्वीकार करना । आदर करना । पडिसलाव पुं [प्रतिसंलाप] प्रत्युत्तर, जवाब । पडिसवत्त वि [प्रतिसपत्न] विरोधी शत्रु । पडिसंलीण वि [प्रतिसंलीन] सम्यक् लीन, पडिसा अक [ शम् ] शान्त होना।
अच्छी तरह लीन । निरोध करनेवाला संयत । पडिसा अक [ नश् ] भागना, पलायन °पडिया स्त्री [°प्रतिमा] क्रोध आदि का होना। निरोध करने की प्रतिज्ञा।
पडिसाइल्ल वि [दे] जिसका गला बैठ गया पडिसंविक्ख सक [प्रतिसंवि + ईक्ष्] विचार हो, घर्घर कण्ठवाला । करना।
पडिसाड सक [प्रति + शादय्, परिशाटय] पडिसंवेद । सक [प्रतिसं + वेदय्] अनुभव सड़ाना । पलटाना । नाश करना । पडिसंवेय करना।
पडिसाडणा स्त्री [परिशाटना] च्युत करना, पडिसंसाहणया स्त्री [प्रतिसंसाधना] अनु- भ्रष्ट करना। गमन ।
पडिसाम अक [शम्] शान्त होना । पडिसंहर सक [प्रतिसं + ह] निवृत्त करना । पडिसाय वि [शान्त] शम-प्राप्त । निरोध करना।
पडिसाय पुं [दे] घर्घर कण्ठ । पडिसक्क देखो परिसक्क ।
पडिसार सक [प्रतिस्मारय] याद दिलाना । पडिसडण न [प्रतिशदन,परिशदन] सड़
पडिसार सक [ प्रति + सारय् ] सजाना । जाना । विनाश ।
पडिसार सक [प्रति + सारय्] खिसकाना, पडिसडिय वि [परिशटित] जो सड़ गया हो, हटाना, अन्य स्थान में ले जाना। जो विशेष जीर्ण हुआ हो वह ।
पडिमार पुं [दे] पटुता । वि. निपुण, चतुर । पडिसत्त पुं [प्रतिशत्रु] प्रतिपक्षी, दुश्मन । पडिसार पं [प्रतिसार सजावट । अपसरण । पडिसत्थ पुं [प्रतिसार्थ] प्रतिकूल यूथ । विनाश । पराङ्मुखता । अपसारण । पडिसद्द पुं [प्रतिशब्द] प्रतिध्वनि । प्रत्युत्तर । पडिसारी स्त्री [दे] परदा । पडिसद्दिय वि [प्रतिशब्दित] प्रतिध्वनियुक्त। पडिसाह सक [प्रति + कथय] उत्तर देना। पडिसम अक [प्रति + शम्, विरत होना । पडिसाहर सक प्रतिसं+ह] निवृत्त करना । पडिसमाहर सक[प्रतिसमा + ह] पोछे खींच विनाश करना । सकेलना, समेटना । वापस लेना।
ले लेना । ऊँचे ले जाना। पडिसय पुं [प्रतिश्रय] उपाश्रय, साधु का पडिसिद्ध वि [दे] डरा हुआ । मग्न, त्रुटित । निवास स्थान ।
पडिसिद्ध वि [प्रतिषिद्ध] निषिद्ध, निवारित । पडिसर पुं [प्रतिसर] संन्य का पश्चाद्भाग। पडिसिद्धि स्त्री [दे] प्रतिस्पर्धा । हस्त-सूत्र, वह धागा जो विवाह से पहले वर- पडिसिद्धि स्त्री [प्रतिसिद्धि] अनुरूप सिद्धि । वधू के हाथ में रक्षार्थ बांधते हैं, कंकण । प्रतिकूल सिद्धि ।। पडिसरीर न [प्रतिशरीर] प्रतिमति। पडिसिद्धि देखो पडिप्फद्धि । पडिसलागा स्त्री [प्रतिशलाका] पल्य विशेष । पडिसिलोग पुं [प्रतिश्लोक] श्लोक के उत्तर पडिसव सक [प्रति + शप् ] शाप के बदले । में कहा गया श्लोक ।
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