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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पच्चतिय-पच्चबलोक्क पच्चंतिय वि [प्रत्यन्तिक] समीप-देश में | पञ्चच्छिमिल्ल वि [पाश्चात्य] पश्चिम दिशा स्थित ।
में उत्पन्न, पश्चिम दिशा-सम्बन्धी। पच्चंतिय वि [प्रात्यन्तिक] प्रत्यन्त देश से | पञ्चच्छिमुत्तरा देखो पच्चत्थिमुत्तरा। आया हुआ।
पच्चड अक [क्षर् ] झरना, टपकना । पच्चक्ख न [प्रत्यक्ष] इन्द्रिय आदि की सहा- पच्चड्ड सक [गम्] जाना, गमन करना । यता के बिना ही उत्पन्न होनेवाला ज्ञान । पच्चड्डिया स्त्री [दे. प्रत्यड्डिका] मल्लों का इन्द्रियों से उत्पन्न होनेवाला ज्ञान । वि. एक प्रकार का करण । प्रत्यक्ष ज्ञान का विषय ।
पच्चणीय वि [प्रत्यनीक] विरोधी, दुश्मन । पच्चक्ख । सक [प्रत्या + ख्या] त्याग करना, पच्चणुभव सक [प्रत्यनु + भू] अनुभव पच्चक्खा ) त्याग करने का नियम करना। । करना। पच्चक्खाण न [प्रत्याख्यान] परित्याग करने | पच्चणुहो देखो पच्चणभव । की प्रतिज्ञा। जैन ग्रन्थांश-विशेष, नववाँ पूर्व- पच्चत्त वि [प्रत्यक्त] जिसका त्याग करने का ग्रन्थ । निंद्य कर्मों से निवृत्ति । विरण पुं. | प्रारम्भ किया गया हो वह । सावध-विरति का प्रतिबन्धक क्रोध-आदि | पच्चत्तर न दे] खुशामद । कषाय।
पच्चत्थरण न [प्रत्यास्तरण] बिछौना । पच्चक्खाणी स्त्री [प्रत्यख्यानी] भाषा-विशेष, देखो पल्हत्थरण। प्रतिषेधवचन ।
पच्चत्थि वि [प्रत्यर्थिन्] प्रतिपक्षी, दुश्मन । पच्चक्खाय वि [प्रत्याख्यात] त्यक्त ।
पच्चत्थिम वि [पाश्चात्य, पश्चिम] पश्चिम पच्चक्खायय वि [प्रत्याख्यायक] त्याग करने- |
दिशा तरफ का, पश्चिम का । न. पश्चिम वाला ।
दिशा । पच्चक्खाव सक [प्रत्या + ख्यापय् ] त्याग
पच्चत्थिमा स्त्री [पश्चिमा] पश्चिम दिशा । कराना, किसी विषय का त्याग करने की
पच्चथिमिल्ल वि पाश्चात्य] पश्चिम प्रतिज्ञा कराना।
दिशा का। पच्चक्खि वि [प्रत्यक्षिन्] प्रत्यक्ष ज्ञानवाला ।
पच्चत्थिमुत्तरा स्त्री [पश्चिमोत्तरा] पश्चिपच्चक्खिय देखो पच्चक्खाय । पच्चक्खीकर सक [प्रत्यक्षी + कृ] प्रत्यक्ष
मोत्तर दिशा, वायव्य कोण । करना, साक्षात् करना।
पच्चत्थय वि [ प्रत्यास्तृत ] आच्छादित ।
बिछाया हुआ। पच्चक्खीकिद (शो) वि [प्रत्यक्षीकृत] प्रत्यक्ष |
पच्चद्ध न [पश्चाध] उत्तरार्ध । किया हुआ, साक्षात् जाना हुआ।
पच्चद्धचक्कवट्टि पुं [प्रत्यर्धचक्रवतिन्] वासुपच्चक्खीभू अक [प्रत्यक्षी + भू] प्रत्यक्ष होना, | देव का प्रतिपक्षी राजा, प्रतिवासुदेव । साक्षात् होना।
पच्चप्पण न [प्रत्यर्पण] लौटा देना । पच्चक्खेय देखो पच्चक्खा का कृ. । पच्चप्पिण सक [प्रति + अर्पय् ] वापस पञ्चग्ग वि [प्रत्यग्र] प्रधान, मुख्य । श्रेष्ठ, | देना। सौंपे हुए कार्य को करके निवेदन सुन्दर । नया ।
करना। पञ्चच्छिम देखो पच्चत्थिम।
| पच्चबलोक्क वि [दे] आसक्त-चित्त, तल्लीनपच्चच्छिमा देखो पच्चत्थिमा।
मनस्क ।
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