________________
५०३
पगास-पच्चंतिग संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पगास देखो पयास = प्र+काशय । पग्गेज्ज पुं [दे] समूह । पगास पुं[प्रकाश ] प्रभा, चमक । ख्याति । पघंस सक [प्र+घृष्] फिर-फिर घिसना।
आविर्भाव, प्रादुर्भाव । उद्योत, आतप । पघोल अक [प्र + घूर्णय] मिलना, संगत क्रोध । वि. प्रकट, व्यक्त ।
होना। पगासग देखो पगासय।
पघोस पुं[प्रघोष] उद्घोषणा । पगासण देखो पयासण।
पच सक [पच्] पकाना। पगासणया स्त्री [प्रकाशनता] आलोक । | पच (अप) देखो पंच। °आलीस, तालीस पगाराणा स्त्री [प्रकाशना] प्रकटीकरण । स्त्रीन [°चत्वारिंशत् पैतालीस । पैतालिस पगासय वि [प्रकाशक प्रकाश करनेवाला।। संख्या जिनकी हो वे। पगिइ देखो पगइ ।
पचंकमणग न [प्रचक्रमण, °क] पाँव से पगिज्झ अक [प्र + गृध्] आसक्ति का प्रारम्भ चलना। होना।
पचंकमावण न [प्रचङ्क्रमण]पाँव से संचारण, पगिज्झिय देखो पगिण्ह ।
पाँव से चलाना । पगिट्ठ वि [प्रकृष्ट] मुख्य । उत्तम । पचंड देखो पयंड। पगिण्ह सक [प्र + ग्रह]ग्रहण करना । उठाना। पचलिय देखो पयलिय = प्रचलित । धारण करना । करना।
पचार सक [प्र+चारय] चलाना । पगीअ वि [प्रगीत] गाया हुआ । जिसकी गीत | पचार पुं [प्रचार] विस्तार, फैलाव। देखो गाई गई हो वह ।
पयार = प्रचार । पगीय वि प्रगीत] जिसने गाने का प्रारम्भ | पचाल सक [प्र + चालय] खूब चलाना । किया हो वह ।
पचिय वि [प्रचित] समृद्ध । पगुण देखो पउण ।
पचीस (अप) स्त्रीन [पञ्चविंशति] पचीस की पगुणीकर सक [प्रगुणी + कृ] प्रगुण करना ।
संख्या । जिसकी संख्या पचीस हो वे । सज्ज करना।
पचुन्निय वि [प्रचूर्णित] चूर-चूर किया हुआ । पगे अ [प्रगे] सुबह ।
पचेलिम वि [पचेलिम] पक्व, पका हुआ। पग्ग सक [ग्रह ] ग्रहण करना ।
पचोइअ वि [प्रचोदित प्रेरित । पग्गल वि [दे] पागल, उन्मत्त ।
पच्चइग देखो पच्चइय = प्रत्ययिक । पग्गह पुं [प्रग्रह] खाने के लिए उठाया हुआ पच्चइय वि [प्रत्यायक] विश्वासी। ज्ञानवाला, भोजन-पान । उपधि, उपकरण। लगाम । प्रत्ययवाला । न. श्रुत-ज्ञान, आगम-ज्ञान । पशुओं को नाक में लगाई जाती डोरी, नाथ । । पच्चइय वि [प्रत्ययित] विश्वस्त । पशुओं को बाँधने की डोरी, रस्सी । मुखिया। पच्चइय वि [प्रात्ययिक] प्रत्यय से उत्पन्न, ग्रहण, उपादान । योजन, जोड़ना ।
प्रतीति से संजात । पग्गहिअ वि [प्रगृहीत] अभ्युपगत, सम्यक् पञ्चंग न [प्रत्यङ्ग] हर एक अवयव ।
स्वीकृत । प्रकर्ष से गृहीत । उठाया हुआ। पच्चंगिरा स्त्री [प्रत्यङ्गिरा] विद्यादेवी-विशेष । पग्गहिय वि [प्रग्रहिक] ऊपर देखो । | पच्चंत पुं [प्रत्यन्त] अनार्यदेश । वि. समीपस्थ पग्गिम 1 (अप) अ (प्रायस्] बहुधा । देश । भाग। पग्गिव ।
| पच्चंतिग देखो पच्चंतिय = प्रत्यन्तिक ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org