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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
दडि-दप्प दडि स्त्री [दे] वाद्य-विशेष ।
°इंद। दड्ढ वि [दग्ध] जला हुआ।
दत्त वि. दिया हुआ, दान किया हुआ, वितीर्ण। दड्ढालि स्त्री [दे] देव-मार्ग ।
न्यस्त, स्थापित । पुं. एक श्रेष्ठि-पुत्र । भरतदढ वि [दृढ] मजबूत, बलवान्, पोढ़ । निश्चल, वर्ष के एक भावी कुलकर पुरुष । चतुर्थ निष्कम्प । समर्थ । अति-निबिड, प्रगाढ़ । बलदेव के पूर्व-जन्म का नाम । भरत-क्षेत्र में कठोर, कठिन । क्रिवि. अतिशय, अत्यन्त । उत्पन्न एक अर्ध-चक्रवर्ती राजा, एक वासुदेव ।
केउ [केतु] ऐरवत क्षेत्र के एक भावी भरत-क्षेत्र में अतीत उत्सर्पिणी काल में उत्पन्न जिन-देव का नाम । °णेमि देखो °नेमि । । एक जिन-देव। एक जैनमुनि । नृप-विशेष । 'धणु [ °धनुष ] ऐरवत क्षेत्र के एक एक जैन आचार्य । न. दान, उत्सर्ग । भावी कुलकर का नाम । भरत क्षेत्र के एक दत्त न [दात्र] दांती, घास काटने का हँसिया। भावी कुलकर का नाम । धम्म वि[°धर्मन्] दत्ति स्त्री. एक बार में जितना दान दिया जाय जो धर्म में निश्चल हो । देव-विशेष का नाम। वह, अविछिन्न रूप से जितनी भिक्षा दी जाय °धिईय वि [धृतिक] अतिशय धैर्यवाला। वह । 'नेमि पुं. राजा समुद्रविजय का एक पुत्र दत्तिय पुंस्त्री [दत्तिका] ऊपर देखो। जिसने भगवान् नेमिनाथ के पास दीक्षा ली| दत्तिय पुं [दत्रिक वायु-पूर्ण चर्म । थी और सिद्धाचल पर्वत पर मुक्ति पाई थी। दत्तिया स्त्री [दात्रिका] छोटी दाँती, घास °पइण्ण वि [प्रतिज्ञ] स्थिर-प्रतिज्ञ, सत्य- काटने का शस्त्र-विशेष । दान करनेवाली स्त्री। प्रतिज्ञ । पुं. सूर्याभ देव का आगामी जन्म में | दत्थर पुं [दे] हस्त-शाटक । होनेवाला नाम । °प्पहारि वि [प्रहारिन्] | दद्दर पुं [दे. दर्दर] कुतुप आदि के मुंह पर मजबूत प्रहार करने वाला। पुं. जैनमुनि-विशेष बाँधा जाता कपड़ा। वि. घना, प्रचुर, अत्यन्त। जो पहले चोरों का नायक था और पीछे से पुं. चपेटा, हस्त-तल का आघात । प्रहार । दीक्षा लेकर मुक्त हुआ था। भूमि स्त्री. एक | वचनाटोप । सीढ़ी । वाद्य-विशेष । गाँव का नाम । 'मूढ वि. नितान्त मूर्ख। 'रह | दद्दरिगा देखो दद्दरिया। पुं[रथ] एक कुलकर पुरुष का नाम । भग- दद्दरिया स्त्री [दे. दर्दरिका] प्रहार, आघात । वान् श्री शीतलनाथजी के पिता का नाम । वाद्य-विशेष । °रहा स्त्री [°रथा] लोकपाल आदि देवों के | ददु पुं [दद्रु] दाद, क्षुद्र कुष्ठ-रोग । अग्र-महिषियों की बाह्य परिषद् । उ पुं ददर दर्दर] प्रहार, आघात । मेढ़क । [आयुष्] भगवान् महावीर के समय में तीर्थ
चमड़े से अवनद्ध मुंहवाला कलश । देव-विशेष । कर-नामकर्म उपार्जन करनेवाला एक मनुष्य ।
राहु, ग्रह-विशेष । पर्वत-विशेष । वाद्य-विशेष । भरत-क्षेत्र के एक भावी कुलकर पुरुष का
न. दर्दुर देव का सिंहासन । वडिसय न नाम।
[वतंसक] देव-विशेष, सौधर्म देवलोक का दढगालि स्त्री [दे] धोया हुआ सदश वस्त्र । एक विमान । देखो दाढगालि ।
ददुल वि [दद्रुमत् दाद-रोगवाला । दणु । पुं[दनुज] दैत्य । "इंद, °एंद पुं दद्ध देखो दड्ढ । दणुअ । [°इन्द्र] दानवों का अधिपति । दधि देखो दहि ।
रावण, लंकापति । °वइ पुं [ पति] देखो | दप्प पुं [दर्प] अहंकार । पराक्रम, जोर ।
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