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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
थेण-दंठा
थेण पुं [स्तेन] चोर ।
। अल्प काल तक रहनेवाला। थेणिल्लिअ वि [दे] हृत । भीत। । थेवरिअन [दे] जन्म-समय में बजाया जाता थेप्प देखो थिप्प।
__ वाद्य। थेर वि [स्थविर] बूढ़ा। पुं. जैन साधु । थोअ देखो थोव । °कप्प पुं [°कल्प] जैन-मुनियों का आचार- थोअ पं [दे] धोबी। मलक, मूला, कन्दविशेष, गच्छ में रहनेवाले जैन मुनियों का विशेष । अनुष्ठान । आचार-विशेष का प्रतिपादक थोक । ग्रन्थ । 'कप्पिय पुं [कल्पिक] आचार थोक । देखो थोव । विशेष का आश्रय करनेवाला, गच्छ में रहने वाला जैन मुनि । भूमि स्त्री. स्थविर का थोडेरुय देखो घाडेरुय । पद । वलि वि. जैन मुनियों का समूह । क्रम थोणा देखो थूणा । से जैन मुनि-गण के चरित्र का प्रतिपादक ' थोत्त न [स्तोत्र] स्तुति । ग्रन्थ-विशेष ।
थोभ । पुं [स्तोभ, क] 'च', 'वे' थेर पुं दे. स्थविर] ब्रह्मा, विधाता ।
थोभय ) आदि निरर्थक अव्यय का प्रयोग । थेरासण न [दे. स्थविरासन] पद्म, कमल ।
थोर देखो थुल्ल । थेरिअ न [स्थैर्य] स्थिरता।
थोर वि [दे] क्रम से विस्तीर्ण अथ च गोल । थेरिया । स्त्री [स्थविरा] बुढ़िया । जैन थोल पंदे] वस्त्र का एक देश । थेरी । साध्वी।
थोव । वि [स्तोक] अल्प, थोड़ा। पुं. थेरोसण न [दे. स्थविरासन] कमल । थोवाग । समय का एक परिमाण । थेव पुं[दे] बिन्दु ।
| थोह न [दे] बल, पराक्रम । थेव देखो थोव । कालिय वि [°कालिक] | थोहर पुंस्त्री [दे] थूहर का पेड़ ।
द पुं. दन्त-स्थानीय व्यञ्जन-वर्ण-विशेष । | °ण्णु पुं[ज्ञ] ज्योतिषी । देखो देव = देव । दअच्छर पुं [दे] गाँव का अधिपति । दइवय न [दैवत देव । दअरी स्त्री [दे] मदिरा ।
दइविग वि [दैविक] देव-सम्बन्धी, दिव्य, दइ स्त्री [दृति मशक ।
उत्तम। दइअ वि [दे] रक्षित ।
दइव्व देखो दइव । दइअ पुंस्त्री [दृतिका] मशक ।
दउत्ति (शौ) अ [द्राग्] शीघ्र । दइअ वि [दयित] प्रिय । वाञ्छित । पुं.पति । | दउदर ) न [दकोदर] जलोदर का रोग ।
°यम वि [°तम] अत्यन्त प्रिय । पुं. भर्ता ।। दओदर । दइआ स्त्री [दयिता] प्रिया, पत्नी। दओभास पुं [दकावभास] लवण-समुद्र में दइच्च पुं दैत्य असुर । 'गुरु मुं. शुक्राचार्य । स्थित वेलन्धर-नागराज का एक आवासदइन्न न [दैन्य] दीनता, गरीबी।
पर्वत । दइव पुंन [दैव] भाग्य, अदृष्ट, प्रारब्ध । ज, दंठा देखो दाढा।
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