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थउड्डु न [ दे] भल्लातक, भिलावा ।
थंग सक [ उद् + नामय् ] ऊँचा करना, उन्नत
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
वृक्ष - विशेष,
करना ।
जन्तु
थंडिल } न [स्थण्डिल] शुद्ध भूमि, थंडिल्ल रहित प्रदेश | गुस्सा | थंडिल पुं [स्थण्डिल] क्रोत्र । थंडिल्ल न [ दे] मण्डल, वृत्त प्रदेश । थं वि [] विषम, असम । थंब पुं [ स्तम्ब] तृण आदि का गुच्छ । थंभ अक [स्तम्भ्] रुकना, स्तब्ध होना, स्थिर होना । सक. क्रिया निरोध करना । निश्चल
करना ।
थंभ पुं [ स्तम्भ ] घेरा । स्तम्भ, खम्भा । अहंकार । तत्थ न [° तीर्थ] एक जैन तीर्थं । विज्जा स्त्री [विद्या] स्तब्ध - बेहोश या निश्चेष्ट करने की विद्या । थंभण न [स्तम्भन] स्तब्ध करण, थभना । स्तब्ध करने का मन्त्र । गुजरात का एक नगर । पुर न. नगर- विशेष, खम्भात । थंभणया स्त्री [स्तम्भना ] स्तब्ध करण | भणिया स्त्री [स्तम्भनिका ] विद्या - विशेष । भणी स्त्री [ स्तम्भनी] स्तम्भन करनेवाली विद्या - विशेष | थंभय देखो थंभ थक्क अक [स्था] रहना, बैठना, स्थिर होना । थक्क अक [फक्क् ] नीचे जाना ।
स्तम्भ |
थक्क अक [श्रम् ] थकना, श्रान्त होना । थक्क व[स्थित] रहा हुआ । थक्क पुं [दे] अवसर, प्रस्ताव, समय । वि. थका हुआ, श्रान्त |
ज
थक्कव सक [स्थापय् ] स्थापन करना, रखना | थग देखो थय = स्थगय् |
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थगथग अक [थगथगाय् ] धड़कना, काँपना | थगिय° देखो थइअ' । ग्गाहि पुं [ग्राहिन् ] ताम्बूल वाहक नौकर ।
थउड्डु - थणिल्ल
थग्गया स्त्री [दे] चञ्चु ।
ग् सक [स्ताघ्] जल की गहराई को
नापना ।
ग् पुं [] थाह, तला पानी के नीचे को भूमि, गहराई का अन्त, सीमा । थग्घा स्त्री [दे] ऊपर देखो ।
थट्ट पुंन [दे] ठठ भीड़, झुण्ड, समूह, यूथ, जत्था । ठाठ, ठाट तड़क-भड़क, सजधज, आडम्बर |
स्त्री [] जानवर | थड पुंन [ दे] समूह |
थड्ढ वि [ स्तब्ध ] निश्चल | अभिमानी ।
अवि [ स्तम्भित] स्तब्ध किया हुआ । स्तब्ध, निश्चल । न गुरु-वन्दन का एक दोष, अकड़ कर गुरु को किया जाता प्रणाम । थण अक [स्तत्] गरजना | चिल्लाना । आक्रोश करना। जोर से नीसास लेना ।
पुं [ स्तन ] थन, पयोधर, चूची । 'जीवि वि ['जीविन् ] स्तन-पान पर निभानेवाला बालक | 'वई स्त्री [ "वती ] बड़े स्तनवाली । विसारि वि[विसारित्] फैलनेवाला | 'सुत न [°सूत्र] उरः-सूत्र | 'हर पुं [भर ] स्तन का भार या बोझ ।
स्तन पर
गंध पुं [ स्तनन्धय ] स्तन-पान करनेवाला बालक, छोटा बच्चा ।
थणण न [ स्तनन] गर्जन | चिल्लाहट । आक्रोश, अभिशाप | आवाजवाला नीसास । थणय पुं [ स्तनक] दूसरी नरक-भूमि का एक
नरक -स्थान |
थणलोलुअ पुं [स्तनलोलुप ] दूसरी नरक भूमि
का एक नरक-स्थान |
[स्तनित] एक नरक-स्थान । न मेघ का गर्जन । आक्रन्द । पुं. भवनपति देवों की एक जाति । कुमार पुं. भवनपति देवों की एक जाति ।
थणिल्ल सक [चोरय्] चोरी करना ।
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