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ति-तिइक्ख
बनवाया
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पुरुषार्थ । लोक, वेद और समय इन तीन का वर्ग । सूत्र, अर्थ और उन दोनों का समूह । 'वण पुं [पर्ण] पलाश वृक्ष | 'वरिस वि [ वर्ष] तीन वर्ष की अवस्थावाला । ' वलि स्त्री. चमड़ी की तीन रेखाएँ । 'वलिय वि ['वलिक] तीन रेखावाला । 'वली देखो 'वलि। 'वट्ठपुं [° पृष्ठ] भरतक्षेत्र के भावी नवम वासुदेव । 'वय न [[पद ] तीन पाँववाला | वह स्त्री [पथगा ] गंगा नदी । 'वायणा स्त्री [ 'पातना ] देखो 'पायण । 'वि, विट्ठपुं [पृष्ठ, विष्टु] भरत क्षेत्र में उत्पन्न प्रथम अर्ध चक्रवर्ती राजा का नाम । विह वि [ "विध ] तीन प्रकार का । विहार पुं. राजा कुमारपाल का हुआ पाटण का एक जैन मन्दिर [°शङ्कु] सूर्यवंशीय एक राजा । [ सन्ध्य ] प्रभात, मध्याह्न और सायंकाल का समय । °सट्ट वि [°षष्ट] ६३ वाँ | °सट्ठि [° षष्टि] तिरसठ । ° सत्त त्रि. ब. [ सप्तन्] एक्कीस । 'सत्तखुत्तो अ [ ° सप्तकृत्वस् ] एक्कीस बार । 'समइय वि ['सामयिक ] तीन समय में उत्पन्न होनेवाला, तीन समय की अवधि वाला | 'सरय न ['सरक] तीन सरा या लड़ीवाला हार । वाद्य विशेष । 'सरा स्त्री. मच्छली पकड़ने का जाल विशेष । 'सरियन [° सरिक ] तीन सरा या लड़ी वाला हार । वाद्य - विशेष । वि. वाद्यविशेष सम्बन्धी । 'सीस पुं [ " शीर्ष ] देवविशेष | 'सूल न [ 'शूल शस्त्र - विशेष | सूपाणि पुं [ शूलपाणि] महादेव । त्रिशूल को हाथ में रखनेवाला सुभट । ° सूलिया स्त्री [° शूलिका ] छोटा त्रिशूल । हत्तर वि[सप्तत] ७३वाँ । 'हा अ [धा] तीन प्रकार से । हुअण, हुण, हुवण न [भुवन ] तीन जगत्-स्वर्ग मर्त्य और पाताल लोक । पुं. राजा कुमारपाल के पिता का
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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
संकु पुं 'संझन
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नाम | हुअणपाल पुं ['भुवनपाल] राजा कुमारपाल का पिता । 'हुअणालंकार पुं [भुवनालंकार ] रावण के पट्टहस्ती का नाम । हुणविहार पुं [भुवनविहार ] पाटण (गुजरात) में राजा कुमारपाल का बनवाया हुआ एक जैन मन्दिर | देखो ते' । °ति देखो इअ = इति ।
तिअ (अप) अक [तिम्, स्तिम् ] आर्द्र होना । सक. आर्द्र करना ।
तिअ न [त्रिक ] तीन का समुदाय । वह जगह जहाँ तीन रास्ते मिलते हों । 'संजअ पुं [ संयत ] एक राजर्षि । देखो तिग । तिअ वि [त्रिज] तीन से उत्पन्न होनेवाला | तिअंकर पुं [त्रिकंकर ] एक जैनमुनि । तिअग न [त्रिकक] तीन का समुदाय । तिअडा स्त्री [त्रिजटा ] एक राक्षसी । तिअय न [त्रितय ] तीन का समूह । तिअभंगी स्त्री [त्रिभङ्गी ] छन्द- विशेष । तिअलुक्क न [ त्रैलोक्य ] तीन जगत्तिअलोय / स्वर्ग, मर्त्य और पाताल लोक । तिअस पुं [त्रिदश ] देव | गअ पुं ['गज] ऐरावत या ऐरावण, इन्द्र का हाथी । नाह पुं [नाथ] इन्द्र |पहु पुं [प्रभु ] इन्द्र, देव-नायक | रिसि पुं [ऋषि] नारद मुनि | लोग पुं [लोक] स्वर्ग | विलया स्त्री ['वनिता] देवी । 'सरि स्त्री [°सरित् ] गंगा नदी । सेल पुं ['शैल] मेरु पर्वत । लय पुंन. स्वर्ग । हिव पुं [प] इन्द्र | हिवइ पुं [धिपति ]
इन्द्र |
तिअससूरि पुं [त्रिदशसूरि] बृहस्पति । तिअसिंद पुं [त्रिदशेन्द्र ] देव-पति । तिअसेंद
तिअसीस पुं [त्रिदशेश ] देव-नायक । तिआमा स्त्री [ त्रियामा] रात्रि । तिइक्ख सक [ तितिक्ष्] सहन करना ।
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