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हुआ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष णिबुड्ड-णिमित्त णिबुड वि [निमग्न] डूबा हुआ, निमग्न । णिब्भीअ वि [निर्भीक]भय-रहित, निडर । णिबोल देखो णिबुड्डु = नि + मस्ज् । णिब्भुग्ग वि [दे] भग्न, खण्डित। णिबोह पुं. [निबोध] प्रकृष्ट बोध, उत्तम णिब्भुय देखो णिभूअ । ज्ञान । अनेक प्रकार का बोध ।
णिब्भेय पुं. [निर्भेद] भेदन, विदारण । णिब्बंध पुं. [निर्बन्ध] आग्रह ।
णिब्भेरिय वि [निर्भरित] प्रसारित, फैलाया णिब्बंधण न [निर्बन्धन] निबन्धन, हेतु, कारण ।
णिभ देखो णिह = निभ । णिब्बल देखो णिव्वल = निर्+पद् ।
णिभंग पुं. [निभङ्ग] भञ्जन, खण्डन, त्रोटन । णिब्बल वि [निर्बल] बल-रहित, दुर्बल। णिभच्छण देखो णिब्भच्छण। णिब्बहिं अ [निर्बहिस्] अत्यन्त बाहर।। णिभाल सक [नि + भालय] देखना, णिब्बाहिर वि [निर्बाह्य] बाहर का, बाहर निरीक्षण करना । गया हुआ।
णिभिअ । देखो णिहुअ । णिब्बुक्क वि [दे] मूल-रहित ।
णिभुअ । णिब्बुड्ड देखो णिब्बुड्डु = निमग्न । णिभेल सक[निर् +भेलय] बाहर करना । णिभंछ देखो णिब्भच्छ ।
णिभेलण न [दे] गृह, स्थान । णिभंजण न दे] पक्वान्न के पकाने पर जो | णिम सक [नि + अस्] स्थापन करना । शेष घृत रहता है वह ।
णिमंत सक [नि + मन्त्रय] निमन्त्रण देना । णिभंत वि [निन्ति ] संशय-रहित ।।
न्यौता देना। णिब्भग्ग न [दे] बगीचा ।
णिमग्ग वि [निमग्न] डूबा हुआ। जला स्त्री. णिब्भग्ग वि [निर्भाग्य] भाग्य-रहित, कम- | नदी-विशेष । नसीब, अभागा।
णिमज्ज अक [नि + मस्ज्] डूबना, निमज्जन णिब्भच्छ सक [ निर +भर्स ] तिरस्कार
करना। करना, अपमान करना, अवहेलना करना, णिमज्जग वि [निमज्जक] निमज्जन करनेआक्रोश-पूर्वक अपमान करना ।
वाला। पुं वानप्रस्थाश्रमी तापस-विशेष जो णिब्भय वि [निर्भय] भय-रहित, निडर ।
स्नान के लिए थोड़े समय तक जलाशय में णिब्भर सक [निर् +भृ]भरना, पूर्ण करना ।
निमग्न रहते हैं। णिब्भर वि [निर्भर] पूर्ण, भरपूर, व्यापक, णिमाणिअ देखो णिम्माणिअ = निर्मानित । फैलनेवाला।
णिमि सक [नि + युज्] जोड़ना । णिभिद सक [निर् +भिद्] तोड़ना, विदा- | णिमिअ वि [न्यस्त] स्थापित, निहित । रण करना।
णिमिञ वि [दे] सूंघा हुआ । णिब्भिच्च वि [निर्भीक] भय-रहित । णिमिण देखो णिम्माण = निर्माण । णिब्भिज्जत । देखो णिब्भिद । णिमित्त न [निमित्त] हेतु । सहकारि-कारण । णिभिज्जमाण ) का कवक ।
भविष्य आदि जानने का एक शास्त्र । अतीणिभिट्ट वि [दे] आक्रान्त ।
न्द्रिय ज्ञान में कारण-भूत पदार्थ । जैन णिब्भिण्ण वि [निभिन्न] विदारित, तोड़ा | साधुओं की शिक्षा का एक दोष । °पिंड पं हुआ। विद्व ।
[°पिण्ड] भविष्य आदि बतला कर प्राप्त की
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