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अच्चय-अच्चे
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष जनक।
अच्चीकर सक [अर्ची + कृ] प्रशंसा करना । अच्चय पु [अत्यय] विपरीत आचरण । | खुशामद करना। विनाश, मरण।
अच्चुअ पु [अच्युत] विष्णु । बारहवाँ देवअच्चय वि [अर्चक] पूजक ।
लोक । ग्यारहवाँ और बारहवाँ देवलोक का अच्चर । न [आश्चर्य] विस्मय, चम- इन्द्र । अच्युत-देवलोकवासी देव । 'नाह पु अच्चरिअ । त्कार ।
[°नाथ] बारहवाँ देवलोक का इन्द्र । °वइ अच्चरीअ
पु [पति] इन्द्र-विशेष । डिसग न अच्चहम वि [अत्यधम] अति नीच । [°ावतंसक] विमान-विशेष का नाम । सम्ग अच्चा स्त्री [अर्चा] शरीर । पूजा । सत्कार । पु"स्वर्ग] बारहवाँ देवलोक पुन एक देवलेश्या, चित्त-वृत्ति । ऐश्वर्य ।।
विमान । अच्चासण पु [अत्यशन] द्वादशी तिथि। अच्चुआ स्त्री [अच्युता] छठवें और सतरहवें अच्चासणया स्त्री [अत्यासनता] खूब बैठना, तीर्थकर को शासन देवी । देर तक या बारंबार बैठना।।
अच्चुइंद पु [अच्युतेन्द्र] ग्यारहवाँ और बारअच्चासणया स्त्री [अत्यशनता] खूब खाना।। हवाँ देवलोक का स्वामी । अच्चासण्ण न [अत्यासन्न] अति समीप । | अच्चुक्कड वि [अत्युत्कट] अत्यन्त उग्र। अच्चासाइय । वि [अत्याशातित अप- | अच्चुग्ग वि [अत्युग्र] ऊपर देखो । अच्चासादिय । मानित, हैरान किया गया। अच्चुच्च वि [अत्युच्च] खूब ऊँचा । अच्चासाय सक [अत्या + शातय] अपमान | अच्चुट्ठिय वि [अत्युत्थित] अकार्य करने को करना, हैरान करना।
तैय्यार । अच्चाहिअ , वि [अत्याहित] महा-भीति । | अच्चुण्ह वि [अत्युष्ण] खूब गरम । अच्चाहिद । झूठा। ऐसा जखमी कार्य, | अच्चुत्तम वि [अत्युत्तम] अति श्रेष्ठ । जिसमें प्राणहानि की सम्भावना हो। अच्चुदय न [अत्युदक] बड़ी वर्षा । प्रभूत अच्चि स्त्री [अचिस्] कान्ति । अग्नि की पानी। ज्वाला । किरण । दीप की शिखा। न. । अच्चुदार वि [अत्युदार] अत्यन्त उदार । लोकान्तिक देवों का एक विमान । °मालि | अच्चुन्नय वि [अत्युनत्त] बहुत ऊँचा ।। पु°मालिन] सूर्य । वि. किरणों से शोभित । | अच्चुब्भड वि [अत्युद्भट] अति-प्रबल । न. लोकान्तिक देवों का एक विमान । °माली | अच्चुवयार पु [अत्युपकार] महान् उपस्त्री चन्द्र और सूर्य की तृतीय अग्रमहिषी | कार । का नाम । 'ज्ञातासूत्र' के द्वितीय श्रुतस्कन्ध के | अच्चुवयार पु [अत्युपचार] विशेष सेवाएक अध्ययन का नाम । शक्रेन्द्र की तृतीय | शुश्रूषा ।। अग्रमहिषी की राजधानी का नाम । | अच्चुब्वाय वि [अत्युद्वात] अत्यन्त थका °मालिणी स्त्री [ मोलिनी] चन्द्र और | हुआ । सूर्य की एक अग्रमहिषी का नाम । । अच्चुसिण वि [अत्युष्ण] अधिक गरम । अच्चिअ वि [अचित] पूजित, सत्कृत । न. अच्चे अक [अति + इ] अतिक्रान्त होना, विमान-विशेष ।
गुजरना । सक. उल्लंघन करना । अच्चित्त देखो अचित्त ।
| अच्चे सक [अत्या + इ] त्याग करवाना ।
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